नए साल का चौथे दिन बिहार क्रिकेट पर बड़ा फैसला आया है. सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को निर्देश दिया है कि वह बिहार की टीम को अगले सीजन से भारत की प्रमुख घरेलू प्रतियोगिता में मुकाबला करने की अनुमति दे.
सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि बिहार की टीम बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (बीसीए) के तहत रणजी ट्रॉफी और अन्य घरेलू टूर्नामेंटों में हिस्सा लेगी, मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि क्रिकेट के हितों को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है.
बीसीसीआई का पूर्ण सदस्य नहीं होने के कारण बिहार को बोर्ड द्वारा 2000 से राज्य स्तरीय इस प्रतियोगिताओं में भाग लेने की अनुमति नहीं दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह क्रिकेट के हित में है कि बिहार को रणजी में खेलने दिया जाए.
2001 में तत्कालीन बीसीसीआई अध्यक्ष जगमोहन डालमिया ने बिहार क्रिकेट एसोसिएशन को असंबद्ध कर झारखंड क्रिकेट एसोशिशन की फुल मेंबरशिप दे दी थी, जो बिहार से विभाजित हुआ था. उस वक्त बीसीएस प्रेसिडेंट लालू प्रसाद थे.
पिछले साल बीसीसीआई ने पूर्वोत्तर राज्यों और बिहार के 2017-18 सीजन के लिए टीमों को समायोजित करने के लिए जूनियर और महिला क्रिकेट मैच के लिए घरेलू कार्यक्रम बदल दिए थे.