नेशल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर)-एनएसई सर्वेक्षण के अनुसार चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही के दौरान भारत में कारोबारी धारणा में सुधार हुआ है और बड़ी संख्या में कंपनियां अगले छह महीनों में नौकरियों में तेजी की उम्मीद कर रही हैं।
अगले छह महीनों में आर्थिक स्थिति में सुधार की उम्मीद करने वाली फर्मों की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2022-23 की चौथी तिमाही में 65.8 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में पहली तिमाही में 71.2 प्रतिशत हो गई।
वित्त वर्ष 2023-24 की जनवरी-मार्च की अवधि में किए गए 30.6 प्रतिशत फर्मों के सर्वेक्षण की तुलना में इस वित्त वर्ष में लगभग 32 प्रतिशत फर्मों ने कहा कि वे अगले छह महीनों में प्रबंधकीय और कुशल श्रमिकों की भर्ती बढ़ाने की योजना बना रहे हैं।
सर्वेक्षण का नेतृत्व करने वाली एनसीएईआर की बोर्नाली भंडारी ने कहा, “अपनी वित्तीय स्थिति में सुधार के बारे में कंपनियों की धारणा विशेष रूप से उल्लेखनीय है क्योंकि ऐसी कंपनियों की हिस्सेदारी 2010-11 की तीसरी तिमाही के 76 प्रतिशत के बाद इस वित्त वर्ष में 67 प्रतिशत थी जो उसके बाद से अब तक की सबसे अधिक थी।”
देश के बाहर भेजा जा रहा सामान यानी निर्यात, बढ़ते उत्पाद, बाजारों में बढ़ते उत्पादों की मांग, कच्चे माल के आयात में आई कमी की वजह से यह सुधार हुआ है और बड़ी संख्या में कंपनियों को उम्मीद है कि अगले छह महीनों में बिजली और कामगारों की यूनिट कॉस्ट में कोई बदलाव नहीं होगा, जिससे संकेत मिलता है कि लागत कम रहेगी और इस वजह से नौकरियों में तेजी आने की उम्मीद है।
सर्वेक्षण जून में किया गया था, जिसमें छह शहरों में स्थापित 497 फर्मों को शामिल किया गया था। जिसमें देश के सभी चार क्षेत्रों को शामिल किया गया था ताकि अगले छह महीनों में इनकी वर्तमान स्थिति, क्षमता का उपयोग, वित्तीय स्थिति और आर्थिक मूल्यांकन का आकलन किया जा सके। इसमें सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के साथ-साथ बड़ी कंपनियों को भी शामिल किया गया।