अयोध्या तो झांकी है.. काशी-मथुरा बाकी है! 22 जनवरी के बाद अब क्या होने वाला है?

IMG 8626 jpegIMG 8626 jpeg

ये नारा उस वक्त दिया गया जब मंदिर निर्माण विवाद पर संघर्ष अपने चरम पर था, उस वक्त देशभर से सैकड़ों की तादात में कारसेवक अयोध्या पहुंच कर श्री राम जन्मभूमी पर भगवान रामलला के पुन: मंदिर निर्माण के रण में थे।

सदियों की प्रतिक्षा, सैकड़ों बलिदान और अनगिनत प्रार्थनाओं के पश्चात आज आखिरकार धर्म नगरी अयोध्या में समूचे विश्व के मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामलला विराज चुके हैं. 22 जनवरी 2024 का ये दिन आस्था, अश्रु और आराध्य से आत्मीयता का दिवस है. ये दिन 500 साल के धार्मिक, राजनीतिक और सामाजिक संघर्ष का प्रमाण हैं. ऐसे में इस पावन प्रभात पर एक बार फिर, आमजन के अंतर हृदय में वही दशकों पुराना नारा गूंज रहा है।अयोध्या तो झांकी है, काशी-मथुरा बाकी है।

गौरतलब है कि, ये नारा उस वक्त दिया गया जब मंदिर निर्माण विवाद पर संघर्ष अपने चरम पर था, उस वक्त देशभर से सैकड़ों की तादात में कारसेवक अयोध्या पहुंच कर श्री राम जन्मभूमी पर भगवान रामलला के पुन: मंदिर निर्माण के रण में थे. हालांकि शासन-प्रशासन से ये लड़ाई दशकों तक चली, मगर आखिरकार साल 2019 में भारत के उच्चतम न्यायालय ने हिंदुओं के पक्ष में अपना फैसला सुना कर विवादित स्थल पर भव्य राम मंदिर निर्माण को स्वीकृति दे दी, जिसके बाद आज प्राण प्रतिष्ठा के साथ दिव्य और दर्शनीय राम मंदिर के दरवाजे श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए।

काशी-मथुरा मंदिरों का निर्माण अब स्वप्न नहीं, बल्कि संकल्प है

लेकिन, जानकारों का कहना है कि, आस्था के इस अलौकिक सफर की समाप्ति यही नहीं होती, बल्कि अब तो इसकी असल शुरुआत हुई है. पांच साल पूर्व अयोध्या के ऐतिहासिक फैसले के बाद से ही काशी और मथुरा दोनों जगहों पर मंदिर आंदोलन का मोर्चा मजबूत हुआ है. आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद जैसे कई धार्मिक संघटन वक्त-दर-वक्त इसकी मांग उठाते आए हैं. हालांकि कब-कैसे-क्या होगा इसकी कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है, मगर ये स्पष्ट है कि काशी और मथुरा में मंदिरों का भव्य निर्माण अब स्वप्न नहीं, बल्कि संकल्प है।

न सिर्फ ये बल्कि समाज और हिंदू संघटन काशी-मथुरा के साथ-साथ देशभर के ऐसे ही शेष मंदिरों के लिए भी लगातार प्रयास कर रहे हैं. ऐसे में धर्म नगरी अयोध्या का भव्य राम मंदिर, असल मायने में इन प्रयासरत संघटनों के लिए एक प्रमाण है कि सैकड़ों सालों का संघर्ष भी सफल होता है।

Related Post
Recent Posts
whatsapp