देश-दुनिया से लोग स्थानीय प्रॉपर्टी डीलर्स से संपर्क कर जमीन की उपलब्धता के बारे में पूछताछ कर रहे हैं। होटल, रेस्टोरेंट, गेस्ट हाउस, दुकान इत्यादि जैसे व्यावसायिक इस्तेमाल के मद्देनजर धर्म नगरी में जमीनों की मांग में प्रतिदिन इजाफा देखा जा रहा है।
आज से पांच साल पहले, जमीन का 1.55 एकड़ का छोटा सा टुकड़ा, जहां करीब 2.50 करोड़ रुपये में बिक रहा था, वहीं अब उसकी कीमत में तकरीबन 10 गुना से भी ज्यादा इजाफा हुआ है. आलम ये है कि, भूमिधारक के घर के बाहर प्रॉपर्टी ब्रोकर और खरीददारों की लंबी कतारें लगनी शुरू हो गई है, जो वाणिज्यिक संपत्तियों के निर्माण और निवेश के अवसरों को देखते हुए अयोध्या की जमीनें खरीदने की फिराक में है. गौरतलब है कि, 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के भव्य कार्यक्रम के बाद उम्मीद की जा रही है कि, रामलला के दर्शन के लिए देश-दुनिया से श्रद्धालुओं का भारी हुजूम इकट्ठा हो सकता है।
गौरतलब है कि, देश-दुनिया से लोग स्थानीय प्रॉपर्टी डीलर्स से संपर्क कर जमीन की उपलब्धता के बारे में पूछताछ कर रहे हैं. होटल, रेस्टोरेंट, गेस्ट हाउस, दुकान इत्यादि जैसे व्यावसायिक इस्तेमाल के मद्देनजर धर्म नगरी में जमीनों की मांग में प्रतिदिन इजाफा देखा जा रहा है।
इसी खातिर, निवेशक जमीन के लिए अधिक भुगतान करने को भी तैयार हैं, जिससे कीमतें लखनऊ की तुलना में चार से पांच गुना अधिक हो गई हैं. यहां निवेशकों को पूरी उम्मीद है कि, ये निवेश आगे चलकर भारी रिटर्न दे सकता है।
एक फैसले ने बदल दी किस्मत…
मालूम हो कि, ये स्थिति 2019 से पहले ऐसी नहीं थी. मगर जब उसी साल 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में 2.77 एकड़ की विवादित स्थल पर हिंदू भगवान राम के मंदिर के निर्माण के पक्ष में फैसला सुनाया, तो यहां लोगों की तकदीर ही बदल गई. जहां पांच साल पहले तक प्रति एकड़ जमीन की कीमत 1.6 करोड़ रुपए थी, वो फैसले के बाद अब तकरीबन 6.4 करोड़ रुपए तक पहुंच गई है, जिसपर अयोध्या वासियों का कहना है कि, धर्म नगरी की जमीनें सोना उगल रही है।