आखिर कहां गई जगन्नाथ पुरी मंदिर के खजाने की चाबी?

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पुरी लोकसभा सीट पर छठे चरण में 25 मई को वोटिंग होगी. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर गृह मंत्री अमित शाह और अन्य नेताओं ने जगन्नाथ पुरी मंदिर के खजाने की चाबी खोने का मुद्दा उठाया है. पीएम ने कहा कि ओडिशा में भाजपा सरकार बनते ही जगन्नाथ जी के मंदिर के श्री रत्न भंडार की चाबी गुम होने के रहस्य का खुलासा किया जाएगा. पूरा ओडिशा जानना चाहता है कि जो जांच हुई थी, उसकी रिपोर्ट में ऐसा क्या है कि बीजेडी ने रिपोर्ट ही दबा दी. उनकी खामोशी से लोगों का शक गहरा रहा है. मगर, भाजपा सरकार रिपोर्ट सार्वजनिक करेगी.

पीएम मोदी ने अपने भाषण में जिस रत्न भंडार का जिक्र किया, वो मंदिर में भगवान जगन्नाथ के चरणों के नीचे बना एक तहखाना है. इस तहखाने में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के कीमती आभूषण और खाने पीने के कीमती बर्तन रखे हुए हैं. ये आभूषण और बर्तन तब से मंदिर में रखे हैं, जब 12वीं सदी में इस मंदिर का निर्माण हुआ था.

उस दौर के राजाओं और श्रद्धालुओं ने मंदिर में आभूषण और बर्तन भेंट किए थे. सदियों से पुरी का राज परिवार और भक्त मंदिर में कीमती रत्न, गहने व अन्य चीजें भेंट करते आए हैं. इन्हीं राजाओं में से एक महाराजा रणजीत सिंह थे, जिन्होंने भारी मात्रा में मंदिर को सोना दान किया था, जोकि उनके द्वारा दिए गए अमृतसर के श्री हरमिंदर साहिब को दिए दान से भी ज्यादा था.

दूसरा कमरा कई दशकों से नहीं खुला

महाराजा रणजीत सिंह की वसीयत के अनुसार, विश्व प्रसिद्ध कोहिनूर हीरा भी इसी मंदिर को दिया जाना था. अगर ब्रिटिश साम्राज्य बीच में नहीं आता तो यह हीरा आज इसकी ही अमानत होता. यही कीमती खजाना मंदिर के तहखाने में बने दो कमरों में रखा हुआ है, जिसकी कीमत करोड़ों में बताई जाती है. हर साल भगवान जगन्नाथ की प्रसिद्ध रथ यात्रा और दूसरे त्यौहारों के दौरान भगवान की सुनहरी पोशाक व दूसरे आभूषण लाने के लिए खजाने का बाहरी कमरा खोला जाता है, लेकिन दूसरा कमरा कई दशकों से नहीं खुला है.

इस तहखाने को आखिरी बार 1978 में खोला गया था. इस बात की जानकारी अप्रैल 2018 में ओडिशा विधानसभा में राज्य के तत्कालीन कानून मंत्री ने दी थी. उन्होंने बताया था कि 1978 में तैयार की गई लिस्ट के मुताबिक, जगन्नाथपुरी मंदिर के खजाने में करीब 1 लाख 49 हजार 610 ग्राम सोने के गहने थे.

इस हिसाब से जगन्नाथ मंदिर के खजाने में करीब 45 साल पहले मौजूद सोने के गहनों की कीमत 100 करोड़ रुपये से ऊपर है. इन सोने के गहनों में कीमती रत्न भी जड़े हुए थे. साथ ही मंदिर के खजाने में करीब 2 लाख 58 हजार ग्राम चांदी के बर्तन भी थे. इसके अलावा ऐसे और गहने थे, जिनका वजन लिस्ट तैयार करते वक्त नहीं किया जा सका था. हालांकि जगन्नाथ पुरी मंदिर के खजाने के दरवाजे को एक बार फिर साल 1985 में खोला गया. इस बार खजाने में मौजूद गहनों की कोई जानकारी आधिकारिक तौर पर अपडेट नहीं की गई.

क्या है खजाने के कमरे को खोलने की प्रक्रिया

जगन्नाथ पुरी मंदिर के खजाने की चाबी पुरी के कलेक्टर के पास होती है. खजाने को खोलने के लिए ओडिशा सरकार से अनुमति लेनी पड़ती है. साल 2018 में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया यानी एएसआई की रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट ने खजाने को खोलने का निर्देश दिया था. इसके बाद राज्य सरकार ने 4 अप्रैल 2018 को मंदिर का खजाना खोलने का आदेश जारी किया.

उस वक्त खजाने को खोलने की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई, क्योंकि जब एएसआई की अगुवाई में जांच टीम वहां पहुंची तो बताया गया कि खजाने की चाबियां गुम हो गई हैं. इसके बाद जांच टीम बाहर से ही तहखाने की जांच करके वापस लौटी. यानी कि कोर्ट के आदेश के बावजूद यह खजाना खुल ही नहीं पाया.

आज तक जगन्नाथ मंदिर के खजाने की चाबियों का पता नहीं चल पाया. 2018 में चाबियां खोने के बाद मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने मामले की जांच के आदेश दिए थे. जांच के लिए गठित कमेटी ने करीब दो हफ्तों की जांच के बाद एक लिफाफा मिलने की बात कही थी. लिफाफे पर लिखा था ‘भीतरी रत्न भंडार की डुप्लीकेट चाबियां’. इस लिफाफे के साथ ही जांच कमेटी ने 29 नवंबर 2018 को अपनी 324 पन्नों की रिपोर्ट भी राज्य सरकार को सौंप दी थी.

रिपोर्ट में क्या था यह आज तक सार्वजनिक नहीं किया गया और डुप्लीकेट चाबियों की बात सामने आने पर भक्तों के मन में सवाल उठा कि ओरिजिनल चाबी कहां गई. जगन्नाथ मंदिर अधिनियम 1955 के मुताबिक मंदिर के रत्न भंडार यानी खजाने की हर साल लिस्टिंग की जानी चाहिए, लेकिन यह लागू ही नहीं हो पाया. साल 1926 में और एक बार 1978 में मंदिर के खजाने में रखे गहनों की लिस्टिंग हुई थी. मगर, उसका मूल्यांकन नहीं किया गया.

 

जगन्नाथ पुरी मंदिर का इतिहास

पुरी में बना जगन्नाथ मंदिर हिंदुओं का प्रमुख तीर्थ स्थल है. चार धाम यानी पुरी, बद्रीनाथ, द्वारिका और रामेश्वरम में से एक है. इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में गंग राजवंश के राजा अनंत वर्मन चोड़ गंग ने करवाया था. उनके बाद शासक अनंग भीमदेव ने वर्तमान मंदिर का रूप तैयार करवाया. मंदिर के संरक्षण का काम आज के समय एएसआई यानी आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के पास है. हाल ही में एएसआई ने राज्य सरकार से मंदिर के तहखाने की मरम्मत के लिए मंजूरी मांगी, जिसके बाद मंदिर के खजाने को भी दोबारा खोलने की मांग तेज हो गई थी. आशंका थी कि खजाने की दीवारों में दरार उभर आई है. इससे वहां रखे कीमती गहने खराब हो सकते हैं.

एसआई की अर्जी के बाद जगन्नाथ पुरी मंदिर प्रबंधन ने भी राज्य सरकार से सिफारिश की कि अगले साल की रथ यात्रा से पहले मंदिर का खजाना खोला जाए. साथ ही खजाने में मौजूद गहनों और दूसरे सामान की नई लिस्ट बनाई जाए. पुरी का राज परिवार भी खजाना खोले जाने के पक्ष में है, क्योंकि करीब 45 साल से खजाने में रखे गहनों की लिस्टिंग नहीं हो पाई है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, जगन्नाथ मंदिर की बैंक में जमा रकम करीब 600 करोड़ रुपये होने का अनुमान. मगर, खजाने में सोने और चांदी की असली मात्रा व उनकी बाजार कीमत के बारे में किसी को सही जानकारी नहीं है.

जगन्नाथ मंदिर की प्रॉपर्टी

राज्य सरकार की तरफ से विधानसभा में दी गई जानकारी के मुताबिक, जगन्नाथ मंदिर के नाम पर ओडिशा और दूसरे राज्यों में 60 हजार 822 एकड़ से अधिक की जमीन है. अकेले ओडिशा के 24 जिलों में जगन्नाथ मंदिर के नाम पर करीब 60 हजार 427 एकड़ जमीन है. आंकड़ों के लिहाज से देखें तो जगन्नाथ मंदिर के पास पुरी शहर से भी 15 गुना अधिक जमीन है.

पुरी शहर करीब 4000 एकड़ में बसा हुआ है. इसके अलावा जगन्नाथ पुरी मंदिर के नाम पर छह राज्यों पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, बिहार और छत्तीसगढ़ में भी करीब 400 एकड़ जमीन है. ऐसे में अगर खजाने और जमीन को मिला लें तो संपत्ति के मामले में पुरी का जगन्नाथ मंदिर देश के सबसे धनी मंदिरों में से एक है. मगर, यह कीमत कितनी है इसका पूरा अंदाजा तो तभी लगेगा जब तहखाने का दरवाजा खुलेगा.

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