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आपने देखी है पारदर्शी लकड़ी, जानें ट्रांसपरेंट वुड कैसे बनता है और कहां होता है इस्तेमाल

आपने लकड़ी का इस्तेमाल तो कई बार किया होगा. घर बनाने से लेकर फर्नीचर और कई तमाम जगहों पर लकड़ी का इस्तेमाल होता है. कई तरह की लकड़ियां भी आपने देखी होंगी. इनमें चंदन से लेकर शीशम और सागोन की लकड़ियां काफी प्रचलित भी हैं. लेकिन क्या आपने कभी पारदर्शी लकड़ी देखी है? शायद नहीं, आप सोच रहे होंगे कि पारदर्शी लकड़ी कैसे हो सकती है, लेकिन ये सच है. पारदर्शनी लकड़ी, नवीनतम और अनोखे शैली का वुड है।

क्या है ट्रांसपरेंट वुड?
ट्रांसपरेंट वुड लेटेस्ट टेक्नोलॉजी से डवलप की गई लकड़ी है. इसमें लकड़ी के गहरे तंतु निकाल कर उसे पारदर्शी बनाया जाता है.  यह नया मैटीरियल आधुनिक डिजाइन और स्थायित्व की दृष्टि से महत्वपूर्ण है. इसका इस्तेमाल कई चीजों में किया जाने लगा है, जहां पर टूट-फूट की ज्यादा उम्मीद होती है उन जगहों पर भी अब इस पारदर्शी लकड़ी का यूज हो रहा है।

कैसे बनता है ट्रांसपरेंट वुड?
लकड़ी की प्राप्ति: पहले, एक विशेष प्रकार की लकड़ी  जैसे कि बीर्च लकड़ी का चयन किया जाता है. इसके बाद इस लकड़ी को कीटाणुरहित करने के लिए उच्च तापमान और दबाव वाली जगह पर रखा जाता है. इस दौरान लकड़ी के स्ट्रक्चर को टूटने से बचाया जाता है.  इसके बाद हेमीसेल्यूलोज,जो लकड़ी की सबसे मुख्य रेखा है उसको निकालने का काम किया जाता है।

पॉलिमर को जोड़ना:
हेमीसेल्यूलोज को निकालने के बाद इसे एक पॉलिमर के साथ मिश्रित यानी मिलाया जाता है. जो उसे पारदर्शी यानी ट्रांसपरेंट बनाने में मदद करता है. यह पॉलिमर एक सजीव साझेदार का कार्य करता है और लकड़ी को उच्च पारदर्शिता प्रदान करता है।

क्या है इस ट्रांसपरेंट वुड का यूज और फायदा

1. आर्किटेक्चर: 
ट्रांसपरेंट वुड को भव्य आर्किटेक्चर और डिजाइन में इस्तेमाल किया जा रहा है. इससे ना सिर्फ आर्किटेक्चर मजबूत होता है बल्कि सुंदर और स्टाइलिश भी दिखता है।

2. ऊर्जा बचत:
ट्रांसपरेंट वुड की खासियत है कि ये एनर्जी की बचत करता है.  इसकी पारदर्शिता के कारण, ट्रांसपरेंट वुड इंटीरियर्स में प्राकृतिक रंग और बाहरी प्रकृति के साथ संरचितता का आभास कराता है. ऐसे में एक्स्ट्रा एनर्जी यानी बिजली की जरूरत नहीं पड़ती।

3. सुरक्षा में: 
यह वायरलेस दृष्टिकोण से बाहर की दुनिया को देखने का अनुभव कराता है, लेकिन उसमें पूर्णता से देखना आसान नहीं है, जिससे सुरक्षा में मदद मिलती है. यानी बाहर से कोई अंदर नहीं देख सकता है।

4. स्मार्ट फोन और टीवी की स्क्रीन:
आमतौर पर आमपने स्मार्ट फोन या टेलीविजन में ग्लास, कांच या फिर प्लास्टिक की स्क्रीन देखी होगी, लेकिन अब वक्त बदल रहा है और टेक्नोलॉजी के जरिए आप ट्रांसपरेंट वुड का इस्तेमाल स्मार्ट फोन और टेलीविजन में भी देख पाएंगे. यानी ना सिर्फ अलग एक्सपीरियंस होगा बल्कि आपके गैजेट और भी मजबूत होंगे।

लकड़ी से कैसे बनेगा ग्लास?
बता दें कि लकड़ी को एक ट्रांसपरेंट ग्लास बनाने के लिए रिसर्चर्स ने लिगनिन (Lignin) नाम के सब्सटेंस को मॉडिफाई और रिमूव किया. फिर ब्राउन कलर को भी खत्म कर दिया और इसके बाद इपोक्सी रेसिन से इसे ट्रांसपरेंट कर दिया।

लकड़ी से निकल सकती है 90 फीसदी तक रोशनी
कुछ वैज्ञानिकों की रिसर्च में ये साबित हुआ है कि ट्रांसपरेंट वुड की मिलीमीटर-मोटी चादर से 90 फीसदी प्रकाश पास हो सकता है. यानी रोशनी आर-पार हो जाती है. हालांकि ये शीट एक सेंटीमीटर मोटी होने लगती है तो रोशनी का स्तर भी कम होने लगता है. मोटाई के हिसाब से ही रोशनी पार होती है।


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