इस बार मानसूनी बारिश जल्द शुरू हो सकती हैं। दक्षिण-पश्चिमी मानसून की शुरुआत केरल में 31 मई के आसपास होने के आसार हैं। वहीं उत्तर-पश्चिम भारत में 16 मई से और पूर्वी भारत में 18 मई, 2024 से गर्मी की लहर का एक नया दौर शुरू होने की संभावना है।
यह जानकारी आईएमडी ने बुधवार को जारी पूर्वानुमान में दी।
मानसून एक मौसमी पवन प्रणाली है जो मुख्यतः भारतीय उपमहाद्वीप, दक्षिण-पूर्व एशिया और अन्य ट्रॉपिकल क्षेत्रों में आती है। यह प्रणाली विशेष रूप से गर्मियों और सर्दियों में हवा की दिशा में बदलाव के कारण होती है। भारत में मानसून को दो प्रमुख भागों में बांटा गया है: दक्षिण-पश्चिम मानसून और उत्तर-पूर्व मानसून।
दक्षिण-पश्चिम मानसून
दक्षिण-पश्चिम मानसून जून से सितंबर के बीच सक्रिय रहता है और यह भारत के अधिकांश हिस्सों में भारी बारिश लाता है। यह मानसून मुख्यतः केरल से शुरू होकर देश के उत्तर और पूर्वी हिस्सों तक फैलता है। यह भारतीय कृषि के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि अधिकांश खेती मानसूनी बारिश पर निर्भर करती है।
उत्तर-पूर्व मानसून
उत्तर-पूर्व मानसून अक्टूबर से दिसंबर के बीच होता है और यह मुख्यतः भारत के दक्षिणी और दक्षिण-पूर्वी हिस्सों में बारिश लाता है, विशेषकर तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में।
मानसून कैसे काम करता है?
- गर्मियों में भूमि और समुद्र का तापमान: गर्मियों में भारतीय उपमहाद्वीप का तापमान तेजी से बढ़ता है, जिससे भूमि के ऊपर कम वायुदाब बनता है। इस कम वायुदाब की भरपाई के लिए समुद्र से हवा तेजी से भूमि की ओर आती है, जिसे मानसून की हवाएं कहते हैं।
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हिमालय की भूमिका: हिमालय पर्वत इन हवाओं को उत्तर की ओर जाने से रोकते हैं, जिससे ये हवाएं भारतीय उपमहाद्वीप में भारी मात्रा में बारिश लाती हैं।
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सर्दियों में हवा की दिशा: सर्दियों में हवा की दिशा बदल जाती है, और ठंडी, शुष्क हवाएं भूमि से समुद्र की ओर बहती हैं, जिससे सर्दियों का मौसम शुष्क होता है।
मानसून न केवल भारतीय कृषि और जल आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह देश की अर्थव्यवस्था और जीवनशैली पर भी व्यापक प्रभाव डालता है।