उत्तराखंड में बारिश का कहर, रोकी गई केदारनाथ यात्रा, वायुसेना के चिनूक और एमआई-17 हेलीकॉप्टर ने संभाला मोर्चा
भारी बारिश के कारण आई आपदा के बाद अब उत्तराखंड राज्य में स्थिति सामान्य हो गई है। हालांकि केदारनाथ धाम यात्रा मार्ग पर रोक लगा दी गई है। केदारनाथ धाम यात्रा मार्ग पर कुल लगभग 700 लोग फंसे हैं। वहीं केदारनाथ में 1000-1500 के लगभग लोगों के फंसे होने की संभावना है। इसमें से 1525 लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित निकाल लिया गया है। पांच हेलीकॉप्टर हेली रेस्क्यू में लगे हुए हैं।
केदारनाथ धाम यात्रा रोकी गई
रुद्रप्रयाग में केदारनाथ यात्रा मार्ग में विभिन्न स्थानों पर फंसे तीर्थयात्रियों को एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, डीडीआरएफ, जिला पुलिस और जिला प्रशासन के बेहतर समन्वय से सुरक्षित निकाल लिया गया है। इसके अलावा पैदल यात्रा मार्ग में सोनप्रयाग और भीमबली के बीच फंसे 1100 यात्रियों को वैकल्पिक मार्ग बनाकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया है। इसी के साथ केदारनाथ पैदल यात्रा मार्ग पर कई जगह भूस्खलन होने से यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए केदारनाथ यात्रा फिलहाल रोक दी गई है। तीर्थ यात्रियों से अपील की गई है कि वे फिलहाल जहां भी हैं, सुरक्षित रुके रहें और अपनी केदारनाथ धाम यात्रा को स्थगित कर दें।
केदारनाथ में फंसे लोगों का रेस्क्यू
उत्तराखंड के आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि उत्तराखंड सरकार की मांग पर भारत सरकार से वायुसेना के चिनूक व एमआई-17 हेलीकॉप्टर उत्तराखंड आ गए हैं, जो केदारनाथ में फंसे लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित निकालने में लगे हुए हैं। राज्य सरकार का प्रयास है कि किसी भी श्रद्धालु को कोई नुकसान न हो और वे सुरक्षित अपने गंतव्य से वापस लौटें। इससे राज्य सरकार के प्रति अच्छा संदेश जाएगा। उन्होंने बताया कि क्षतिग्रस्त मार्गों पर फिलहाल आवागमन अवरुद्ध है। जल्द ही वैकल्पिक मार्ग बनाया जाएगा। 1100 यात्रियों को वैकल्पिक मार्ग से सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया है। केदारनाथ धाम मार्ग पर भीमबली, रामबाड़ा, लिचोली में फंसे 425 यात्रियों को हेली रेस्क्यू से सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया है।
सीएम ने अधिकारियों को अलर्ट मोड में रहने का दिया निर्देश
दरअसल, राज्य के विभिन्न हिस्सों में बुधवार रात को अतिवृष्टि से सड़कों, पैदल पुलों, बिजली और पेयजल लाइनों के साथ ही कृषि भूमि को भारी नुकसान पहुंचा है। आपदा की सूचना मिलते ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी रात से ही सक्रिय हो गए और रात्रि में ही राज्य आपदा परिचालन केंद्र पहुंचकर राज्य भर में अतिवृष्टि से हुए नुकसान की जानकारी ली। उन्होंने अधिकारियों को अलर्ट मोड में रहने के निर्देश दिए। उन्होंने टिहरी और रुद्रप्रयाग जिले के आपदाग्रस्त इलाकों का हवाई सर्वेक्षण करने के साथ ही आपदा प्रभावितों का हाल भी जाना। साथ ही राहत व बचाव शिविरों में की गई व्यवस्थाओं को परखा।
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