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एक्शन और रोमांच देने की कोशिश में हल्का सा चूक गए रोहित शेट्टी, कैसी है ‘इंडियन पुलिस फोर्स’?

सीरीज में रोहित शेट्टी ने पूरे मसाले डाले हैं। थ्रिल पैदा करने की उनकी कोशिश साफ पता चलती है, लेकिन फिर भी ये फोर्स कई जगह लड़खड़ाती दिखती है।

रोहित शेट्टी की पहली ओटीटी सीरीज ‘इंडियन पुलिस फोर्स’ अमेजन प्राइम पर 18 तारीख को रिलीज हो चुकी है. ये सीरीज रोहित शेट्टी के कॉप यूनिवर्स का ही हिस्सा है, जिसमें पहले से ही सिंहम, सिम्बा और सूर्यवंशी शामिल हैं।

कहानी: कहानी देश के अलग-अलग शहरों में बम धमाके के पीछे के मास्टरमाइंड की ‘हंटिंग’ की है. दिल्ली, जयपुर, गोवा जैसी जगहों में सीरियल बम ब्लास्ट करने वाले टेरिरिस्ट ग्रुप को पकड़ने दिल्ली पुलिस के सबसे बेहतरीन पुलिस ऑफिसर्स एक साथ आते हैं. कहानी देश में धर्म के नाम पर फैल रही नफरत और दंगों का दर्द दिखाने की भी है. टेरिरिस्ट्स को पकड़ने की ये जंग सिर्फ इंडिया ही नहीं, इंडिया के बाहर तक जाती है।

कैसी है सीरीज? सीरीज की कहानी सीधी-सीधी है. कहानी में ऐसा कुछ भी नहीं है, जो पहले न देखा गया हो. ऐसी कहानियों पर इसके पहले भी कई बॉलीवुड फिल्में बन चुकी हैं. सीरीज की खासियत रोहित शेट्टी इफेक्ट है. जिसकी वजह से 7 एपीसोड की ये सीरीज देखने लायक बन जाती है. धर्म और कौम के नाम पर युवाओं को भटकाने वालों को बेनकाब करने की कोशिश की गई है. पूरी सीरीज में मैसेजेस की भरमार है. कुल मिलाकर सीरीज कौमी एकता का मैसेज एक्शन के तड़के के साथ देती है।

एक्टिंग: सीरीज में लीड रोल सिद्धार्थ मल्होत्रा ने निभाया है. कई जगह वो फ्लैट चेहरे के साथ दिखते हैं. लेकिन कई जगहों उनकी एक्टिंग में विस्तार देखने को मिलता है. एक सीन में रोते हुए सिद्धार्थ दिल जीत लेते हैं. उन्हें देखकर ऐसा बिल्कुल भी नहीं लगता कि वो एक्टिंग कर रहे हैं, बल्कि ऐसा लगता है कि वो सच में दुखी हैं. उनका साथ देने के लिए शिल्पा शेट्टी और विवेक ओबेरॉय भी हैं, जिन्होंने अपना-अपना काम ठीक से किया है. शिल्पा शेट्टी एक्शन करती अच्छी लगती हैं. उनकी फिल्म ‘दस’ के करीब 18 साल बाद उन्हें इस तरह के एक्शन सीन करते देखना अच्छा फील देता है. इसके अलावा, काफी दिनों बाद दिखे मुकेश ऋषि सधे हुए लगे हैं. नेगेटिव किरदार में मयंक टंडन जमे हैं।

डायरेक्शन: रोहित दो तरह की फिल्में बनाते हैं. एक कॉमेडी और दूसरी एक्शन. दोनों में उनका अलग-अलग स्टाइल देखने को मिलता है. धरपकड़ के सीन से लेकर कोवर्ट ऑपरेशन से जुड़े सीन्स दिखाने में उन्होंने वही रोहित शेट्टी तरीका दिखाया है, जिनमें लाखों की गाड़ियां हवा में उड़ती नजर आती हैं. सीरीज देखते समय आपको सिंहम और सूर्यवंशी की याद आती रहेगी।

एक्शन: एक्शन रोहित शेट्टी वाला ही है. लेकिन थ्रिल नहीं पैदा होता. कुछ जगह सिद्धार्थ मल्होत्रा पर फिल्माए गए एक्शन सीन बेहतरीन लगते हैं, लेकिन उन्हें देखकर साफ पता चलता है कि उन्हें अट्रैक्टिव बनाने के लिए स्पीड को 1 से बढ़ाकर 1.25 कर दिया गया हो. हालांकि, गाड़ियों के टकराने और उड़ने के सीन अच्छे हैं, लेकिन नए नहीं हैं।

कमियां: देश प्रेम का मैसेज देना बुरी बात नहीं है, लेकिन बार-बार एक जैसे तरीके से देना बोर करता है. पूरी सीरीज में ये इस्टैब्लिश करने के लिए कि कोई धर्म हिंसा को बढ़ावा नहीं देता, बार-बार एक जैसे डायलॉग घूम घूमकर आते रहते हैं. एक उदाहरण से समझते हैं- ‘तुम्हारे जैसे लोगों की वजह से पूरी कौम बदनाम है’. ये डायलॉग कितनी ही जगह कितनी फिल्मों में आपने सुना ही होगा।

इसके अलावा, कई जगह साफ पता चलता है कि सीरीज की शूटिंग किसी सेट पर की गई है. सेट पर शूट होना तो लाजमी है लेकिन वो पता नहीं चलना चाहिए. कई जगह स्पेशल इफेक्ट और वीएफएक्स का कमजोर इस्तेमाल भी साफ पता चलता है. सीरीज के डायलॉग्स में भी समस्या है. वो पूरी तरह से फिल्मी लगते हैं।


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