ओडिशा में बीजेपी-बीजेडी में गठबंधन! पार्टी ने दिया बड़ा संकेत
ओडिशा में आगामी लोकसभा चुनाव नई सियासी तस्वीर पेश कर सकता है।खबर है कि, सूबे में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (BJD) ने आम चुनाव से पूर्व भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ गठबंधन में आ सकता है।
ओडिशा में आगामी लोकसभा चुनाव नई सियासी तस्वीर पेश कर सकता है. खबर है कि, सूबे में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल ने आम चुनाव से पूर्व भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन में आ सकता है. इसका संकेत देते हुए, कल यानि बुधवार को बीजद के नेताओं ने ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के आधिकारिक आवास नवीन निवास में एक व्यापक सत्र बुलाया, जिसमें राज्य इकाई के प्रमुख मनमोहन सामल सहित BJD और BJP के कई नेता शरीक हुए. सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में आगामी चुनाव के लिए गठबंधन बनाने की संभावना पर चुनावी मामलों से संबंधित चर्चा की गई।
जानकारों का मानना है कि, BJD और BJP के बीच संभावित समझौता राज्य की सियासी तस्वीर में तबदीली लाने वाला हो सकता है. हालांकि अबतक इसे लेकर कोई भी औपचारिक घोषणा नहीं की गई है. बीजद उपाध्यक्ष और विधायक देबी प्रसाद मिश्रा ने चर्चा की पुष्टि करते हुए बताया कि, पार्टी की प्राथमिकता ओडिशा के लोगों के व्यापक हित हैं. साथ ही गठबंधन के मुद्दे पर चर्चा के सवाल पर भी उन्होंने हामी भरी।
बीजद की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि, ”बीजद अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के नेतृत्व में आज पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव की रणनीति को लेकर व्यापक चर्चा हुई।”
“2036 तक, ओडिशा अपने राज्य के गठन के 100 साल पूरे करने जा रहा है, लिहाजा यह संकल्प लिया गया कि बीजद और मुख्यमंत्री पटनायक को इस समय तक प्रमुख मील के पत्थर हासिल करने हैं, इसलिए बीजू जनता दल लोगों के व्यापक हित में इस दिशा में सब कुछ करेगा।”
वहीं भाजपा की ओर से वरिष्ठ नेता और सांसद जुएल ओराम ने दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद बीजद के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन पर चर्चा की पुष्टि की. हालांकि, उन्होंने कहा कि अंतिम निर्णय पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व पर निर्भर है. ओरम ने कहा, “हां, अन्य मुद्दों के अलावा गठबंधन पर भी चर्चा हुई. पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व अंतिम फैसला करेगा।”
गौरतलब है कि, बीजद-भाजपा गठबंधन ने 2000 और 2004 के ओडिशा विधानसभा चुनाव सफलतापूर्वक लड़े, साथ ही राज्य में 1998, 1999 और 2004 में लोकसभा चुनाव में मिलकर फतेह हासिल की. मगर फिर एनडीए में भाजपा का सबसे विश्वसनीय सहयोगी माना जाने वाला गठबंधन 2009 में सीट-साझाकरण वार्ता विफल होने के बाद टूट गया।
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