भारत-श्रीलंका के बीच बीते कुछ रोज से कच्चातिवु द्वीप को लेकर विवाद जारी है।बता दें कि, ज्वालामुखी विस्फोट से बना ये जमीन को वो टुकड़ा है।
भारत-श्रीलंका के बीच बीते कुछ रोज से कच्चातिवु द्वीप को लेकर विवाद जारी है. बता दें कि, ज्वालामुखी विस्फोट से बना ये जमीन को वो टुकड़ा है, जिसे 1970 के दशक में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने श्रीलंका को दे दिया था, जिसके बाद अब कई लोग पीएम मोदी से इसे दोबारा भारत वापस लाने की मांग कर रहे हैं. इस बीच मोदी ने भी इसे लेकर एक हालिया पोस्ट किया है, जिसमें उन्होंने कच्चातिवू द्वीप श्रीलंका को देने के लिए कांग्रेस की जमकर आलोचना की है।
पीएम मोदी ने अपने ऑफिशियल एक्स हैंडल पर एक न्यूज आर्टिकल शेयर किया, इसके साथ ही उन्होंने लिखा कि, कांग्रेस पार्टी पर भरोसा नहीं किया जा सकता है. उन्होंने लिखा कि, कांग्रेस ने बेरहमी से कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को दे दिया. कांग्रेस ने भारत की एकता को कमजोर किया है. उन्होंने कहा कि, भारत की एकता, अखंडता और हितों को कमजोर करना 75 वर्षों से कांग्रेस का काम करने का तरीका रहा है।
राजनीति के लिए भारत माता के टुकड़े
गौरतलब है कि, पीएम मोदी द्वारा शेयर किए न्यूज आर्टिकल में दावा किया गया है कि, पूर्व प्रधानमंत्री (दिवंगत) जवाहरलाल नेहरू ने इस मुद्दे को महत्वहीन बताकर खारिज कर दिया था. यह भी दावा किया गया कि फैसले के खिलाफ विपक्ष के कड़े विरोध को नजरअंदाज किया गया था।
बता दें कि, पिछले साल भी पीएम मोदी ने संसद में कच्चातिवु द्वीप का जिक्र किया था. उन्होंने कहा था कि, भारत की गांधी सरकार ने 1974 में कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को दे दिया था. कांग्रेस पर करारा हमला करते हुए मोदी ने उनपर राजनीति के लिए भारत माता के तीन टुकड़े करने का आरोप लगाया था।
कहां है कच्चातिवु द्वीप?
मालूम हो कि, कच्चातिवु द्वीप भारत के रामेश्वरम और श्रीलंका के बीच स्थित इस द्वीप है, जिसका इस्तेमाल पारंपरिक रूप से श्रीलंकाई और भारतीय दोनों देशों के मछुआरों द्वारा किया जाता था. हालांकि 1974 में, तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने कच्चातिवु को श्रीलंकाई क्षेत्र के रूप में स्वीकार किया था।