करम फूट गये मेरे। कैसा लीचड़ और कंजूश खसम मिला है!
करम फूट गये मेरे। कैसा लीचड़ और कंजूश खसम मिला है!
यह निकम्मा AC या First Class ना सही पर 2 सीटें General Sleeper Coach में तो रिजर्व करवा सकता था। लगेज के नाम पर बोरे में सामान ना कि 5-6 हजार रु वाला VIP सूटकेस।
इसे साड़ी कहूँ या धोती कहूँ; यह भी दिलवायी तो 360 रु वाली ही दिलवायी। पर नहीं जी, रेल की जनरल डिब्बे में सोने के लिये सीट ना मिली तो दो सीटों के बीच में सामान से भरा बोरा रख कर ही शाही पलंग बना लिया। पति ऐसे निश्चिंत हुआ पड़ा है कि जैसे उसे गरीबी, बेरोजगारी, आरक्षण, अभाव इत्यादि से कुछ मतलब ही ना हो।
ऊपर की सीट के पाइप से टंगी झोली में पड़ा बच्चा दौड़ती रेल के हिचकोलों से झूलते हुए दुनिया से बेखबर होकर मस्ती से सो रहा है। और पत्नी! उसका तो कहना ही क्या। पूरा पलंग न मिला तो पैरों को मोड़ कर और पति के सीने को तकिया बना कर ऐसे निश्चिंत पड़ी है जैसे कि उसका पति तीनों लोकों का स्वामी हो और वह उसके अंक में समा गयी हो।
हीरे जड़ित सोने का पलंग और उस पर बिछे मखमली गद्दे पर कोई महारानी भी इतनी चैन की नींद नहीं सो पाती होगी। तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी है अंधेरों से भी मिल रही रौशनी है… तेरा साथ है तो।
Discover more from Voice Of Bihar
Subscribe to get the latest posts sent to your email.