हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की उपासना करने से जीवन में आ रही कई प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती हैं और भक्तों को भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है. वैदिक पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत का पालन किया जाता है. बता दें कि जल्द ही आषाढ़ माह का अंतिम प्रदोष व्रत रखा जाएगा. ऐसे में आइए जानते हैं, कब रखा जाएगा आषाढ़ प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त और महत्व?
प्रदोष व्रत 2024 तिथि
वैदिक पंचांग के अनुसार, आषाढ़ शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 18 जुलाई रात्रि 08:44 पर शुरू होगी और इस तिथि का समापन 19 जुलाई शाम 07:41 पर होगा. बता दें कि भगवान शिव की उपासना प्रदोष काल में की जाती है. इसलिए यह प्रदोष व्रत 18 जुलाई 2024, गुरुवार के दिन रखा जाएगा. यही कारण है कि इसे गुरु प्रदोष व्रत के नाम से भी जाना जाएगा.
गुरु प्रदोष व्रत 2024 पूजा मुहूर्त
शास्त्रों में प्रदोष व्रत के महत्व को विस्तार से बताया गया है और यह भी बताया गया है कि इस विशेष दिन पर भगवान शिव की उपासना प्रदोष काल अर्थात संध्या काल में करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है. बता दें कि18 जुलाई 2024, गुरुवार के दिन प्रदोष पूजा मुहूर्त रात्रि 08:44 से रात्रि 09:27 के बीच रहेगा. इस दिन प्रदोष काल का समय शाम 07:26 से रात्रि 09:27 के बीच रहेगा.
क्या है प्रदोष व्रत का महत्व?
सनातन में भगवान शिव की उपासना सृष्टि के संहारक के रूप में की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव की उपासना करने से व्यक्ति को आरोग्यता, गुण, ऐश्वर्य, धन, समृद्धि इत्यादि का आशीर्वाद प्राप्त होता है. साथ ही भगवान शिव उपासना करने से कुंडली में उत्पन्न हो रही कई प्रकार के ग्रह दोष भी दूर हो जाते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है. इसके साथ प्रदोष व्रत के दिन दान-पुण्य करने से भी विशेष लाभ प्राप्त होता है और व्यक्ति को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है.