कस्टम विभाग में बिहार-झारखंड कार्यालय के स्तर से फर्जी निर्यात मामले की जांच तेज हो गई है। फर्जी कागजात के आधार पर बड़ी संख्या में सामान का निर्यात नेपाल में दिखाते हुए करोड़ों रुपये का इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) गलत तरीके से प्राप्त कर लिया था। इस टैक्स फर्जीवाड़े की जांच चल रही है और इसका आंकड़ा 1200 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। यानी अब तक की जांच में 1200 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा उजागार हो चुका है।
इस मामले में अब तक कस्टम विभाग के छह पदाधिकारियों को निलंबित किया जा चुका है। साथ ही अपर आयुक्त, संयुक्त आयुक्त, सुप्रीटेंडेंट समेत अन्य स्तर के करीब एक दर्जन अधिकारियों से सघन पूछताछ हो चुकी है। कुछ से पूछताछ की प्रक्रिया जारी है, जबकि एक दर्जन अधिकारी इस कतार में हैं, जिनसे आने वाले समय में पूछताछ होने जा रही है। पूछताछ की फेहरिस्त वाले अधिकारियों में वे सभी शामिल हैं, जो भीमनगर, भिह्वा मोड़ और जयनगर स्थित लैंड कस्टम स्टेशन (एलसीएस) में खासतौर से 2021 से 2023 के बीच तैनात रहे हैं।
इस मामले में अब तक जिन अधिकारियों को निलंबित किया जा चुका है उनमें सहायक आयुक्त नीरज कुमार, सहायक आयुक्त मनमोहन शर्मा, तत्कालीन सुपरिटेंडेंट राजीव रंजन सिन्हा, तरुण कुमार सिन्हा और इंस्पेक्टर वैद्यनाथ प्रसाद समेत एक अन्य शामिल हैं।
पूछताछ में कई स्तर पर मिले हैं अहम सुराग
पूछताछ वाले अधिकारियों की मौजूद सूची में 6 सुपरिटेंडेंट समेत 20 अधिकारी शामिल हैं। जमशेदपुर में तैनात एक अपर आयुक्त से दो-तीन बार सघन पूछताछ हो चुकी है। वे पहले यहीं तैनात थे और उनकी भूमिका पूरे फर्जीवाड़े में काफी अहम मानी जा रही है। अब तक अधिकारियों से हुई पूछताछ में कई स्तर के अहम सुराग सामने आ चुके हैं और कई अन्य अधिकारियों और कर्मियों के नाम भी सामने आए हैं। कुछ नाम चौंकाने वाले भी हैं। इन सभी से जल्द पूछताछ होने की संभावना है। इसमें ग्रुप-ए और बी के अधिकारी ज्यादा हैं। इस पूरे मामले की जांच पटना कस्टम कार्यालय और केंद्रीय निगरानी इकाई संयुक्त रूप से कर रही है। इन सभी से पूछताछ की प्रक्रिया पटना स्थित कस्टम मुख्यालय में ही की जा रही है।