कांग्रेस सरकार के मंत्री रामलिंगा रेड्डी बोले – ‘कर्नाटक में रहना है तो कन्नड़ सीखनी होगी’
कर्नाटक में कन्नड़ों को निजी कंपनियों में नौकरी के लिए 100 फीसदी आरक्षण देने के बाद विवाद खड़ा हो गया. हंगामा बढ़ता देख मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने विधेयक में बदलाव की घोषणा की. इसी बीच कर्नाटक के मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने बड़ा बयान दे डाला.कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने कहा, ‘हर किसी को कन्नड़ सीखना चाहिए. जो लोग कर्नाटक में रह रहे हैं, उन्हें कन्नड़ सीखनी होगी.’
कर्नाटक में निजी नौकरियों में आरक्षण
इससे पहले मंगलवार को कर्नाटक सरकार के मंत्रिमंडल ने राज्य में निजी कंपनियों में समूह-सी और डी के पदों के लिए कर्नाटक वासियों को शत प्रतिशत आरक्षण देने के प्रावधान वाले एक विधेयक को मंजूरी दी थी.मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने मंगलवार को कहा था कि मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला किया गया. राज्य के सभी निजी उद्योगों में ‘सी और डी’ श्रेणी के पदों के लिए 100 प्रतिशत कन्नडिगा (कन्नड़भाषी) लोगों की भर्ती अनिवार्य करने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी गई.
विवाद के बाद किया बदलाव
इस फैसले की आलोचना होने के बाद बुधवार को सरकार ने बदलाव किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रशासनिक पदों के लिए 50% और गैर-प्रशासनिक पदों के लिए 75% आरक्षण तय करने वाले विधेयक को मंजूरी दी गई. 100 फीसदी आरक्षण नहीं दिया गया.वहीं, कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने कहा, ‘उन्हें (आईटी कंपनियों को) स्थानीय लोगों को लेना चाहिए. यदि वे (स्थानीय लोग) उपलब्ध नहीं हैं, तो उन्हें विकल्प तलाशना चाहिए. सरकार का यही इरादा है.’
उपमुख्यमंत्री ने की सराहना
विधेयक की सराहना करते हुए कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार ने कहा, ‘कांग्रेस कर्नाटक में कन्नड़ लोगों की गरिमा को बनाए रखने के लिए सत्ता में आई है. चाहे वह निजी प्रतिष्ठानों के साइनबोर्ड, कन्नड़ ध्वज, कन्नड़ भाषा, संस्कृति, दस्तावेज या कन्नड़ लोगों के लिए नौकरियों में आरक्षण का विशिष्ट प्रतिशत हो.’
उद्योग मंत्री एमबी पाटिल ने भी विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि कन्नड़ लोगों को कर्नाटक में नौकरी मिलनी चाहिए. हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उद्योगों के हितों की भी रक्षा की जाएगी.
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