कालाष्टमी पर ‘कौलव’ करण समेत बन रहे हैं ये 3 संयोग, पढ़ें पंचांग एवं राहुकाल
पंचांग के अनुसार आज गुरुवार 04 जनवरी को पौष महीने की मासिक कालाष्टमी है। ज्योतिषियों की मानें तो आज भगवान शिव निशा काल तक जगत जननी मां पार्वती के साथ रहेंगे। इस शुभ योग में भगवान शिव की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। आइए पंडित हर्षित जी से आज का पंचांग एवं राहुकाल जानते हैं-
आज पौष माह की मासिक कालाष्टमी है। यह पर्व हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की पूजा की जाती है। साथ ही शुभ कार्यों में सिद्धि पाने हेतु विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं। धार्मिक मत है कि काल भैरव देव की पूजा करने से सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। ज्योतिषियों की मानें तो आज कालाष्टमी पर कौलव करण समेत 3 अद्भुत संयोग बन रहे हैं। इन योग में भगवान शिव की पूजा करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। आइए, पंडित हर्षित जी से आज का पंचांग जानते हैं-
शुभ मुहूर्त
पौष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि देर रात 10 बजकर 04 मिनट तक है। इसके पश्चात, नवमी तिथि शुरू हो जाएगी। ज्योतिषियों की मानें तो आज ‘कौलव’ करण समेत 3 शुभ संयोग बन रहे हैं। ज्योतिष इन योग को शुभ मानते हैं। इन योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक को मनोवांधित फल की प्राप्ति होती है।
शुभ योग
ज्योतिषियों की मानें तो कालाष्टमी तिथि पर बालव, कौलव और तैतिल करण का निर्माण हो रहा है। बालव करण का योग सुबह 08 बजकर 59 मिनट तक है। इसके बाद कौलव करण का योग देर रात 10 बजकर 04 मिनट तक है। अंत में तैतिल योग है।
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय – सुबह 07 बजकर 15 मिनट पर
सूर्यास्त – शाम 05 बजकर 37 मिनट पर
चन्द्रोदय- देर रात 01 बजकर 02 मिनट पर
चंद्रास्त- दोपहर 12 बजकर 11 मिनट पर
पंचांग
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 05 बजकर 25 मिनट से 06 बजकर 20 मिनट तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 10 मिनट से 02 बजकर 51 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 05 बजकर 34 मिनट से 06 बजकर 02 मिनट तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 11 बजकर 59 मिनट से 12 बजकर 53 मिनट तक
अशुभ समय
राहुकाल – दोपहर 01 बज 44 मिनट से 03 बजकर 02 मिनट तक
गुलिक काल – सुबह 09 बजकर 50 मिनट से 11 बजकर 08 मिनट तक
दिशा शूल – दक्षिण
ताराबल
अश्विनी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुष्य, मघा, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, अनुराधा, मूल, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तराभाद्रपद
चन्द्रबल
मेष, कर्क, कन्या, वृश्चिक, धनु, मीन
राम को कल्पतरु, कलि कल्यान निवासु ।
जो सुमिरत भयो भाँग तें, तुलसी तुलसीदास ।।
अर्थात: भगवान श्रीराम का नाम कल्पवृक्ष और कल्याण का निवास है, जिसका स्मरण करके तुलसीदास, तुलसी के समान पावन हो गए।
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