बिहार के राज्यपाल सह कुलाधिपति राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने गुरुवार को कहा कि दीक्षांत समारोह का मतलब शिक्षांत नहीं है। शिक्षा और भी है। शिक्षा तो हम अंतिम सांस तक लेते हैं। वे पूर्णिया विश्वविद्यालय के पहले दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि आप सभी मेरे विद्यार्थी हैं। आपका सम्मान करना मेरा दायित्व और कर्तव्य है। कार्यक्रम में आकर मैंने कोई कृपा नहीं की। मैं समझता हूं यह मेरा कर्तव्य और दायित्व है। मैं भी साक्षी बनूं। आपको प्रोत्साहित करूं। विद्यार्थियों में विनम्रता और अनुशासनता होना चाहिए। लोग कई बार अभद्र व्यवहार भी करते हैं। मगर विनम्रता व सच्चाई है तो हम सबसे जीत सकते हैं। कहा, पैसा हर कोई कमाता है। पैसा कमाने के अनेक प्रकार हैं। मगर समाज में इज्जत कमाना कठिन होता है। हम सबको इज्जत कमाने की आवश्यकता है।
हम जब बाहर जाएं या फिर समाज में खड़े हों तो लोग हमारा अनुकरण करें। ऐसा हमारा व्यवहार होना चाहिए। जब आप बाहर जाएंगे तो आपका व्यवहार ही बताएगा कि आप पूर्णिया विवि के विद्यार्थी हैं। उन्होंने कहा कि हम बड़े लोगों के बारे में सुनते और पढ़ते हैं। उनकी जीवनी पढ़ते हैं। ऐसे लोगों ने हमेशा अपने बड़ों का सम्मान किया है।