प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत देने की मांग का विरोध किया। ईडी ने हलफनामा दाखिल करते हुए कहा कि ‘चुनाव प्रचार का अधिकार, न तो मौलिक अधिकार है और न ही संवैधानिक। यह कानूनी अधिकार भी नहीं है।’ ईडी ने कहा कि केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने से गलत संदेश जाएगा।
जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ के समक्ष ईडी की ओर से उप निदेशक भानू प्रिया मीणा ने यह हलफनामा दाखिल किया। उन्होंने कहा कि ईडी की जानकारी के मुताबिक अब तक किसी भी राजनेता को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत नहीं दी गई है, भले ही वह चुनाव क्यों न लड़ रहा हो।
ईडी ने कहा, हमने अभी दलील रखने की शुरुआत ही की है, ऐसे में पीठ पूरी तरह से सुनने के बाद याचिका के बारे में अंतिम निर्णय ले सकती है। ईडी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि जेल में बंद कैदियों को वोट डालने का भी अधिकार नहीं मिलता है।
…तो फिर किसी राजनेता की गिरफ्तारी नहीं हो सकती ईडी ने हलफनामे में कहा कि ‘यह ध्यान देने योग्य है कि पिछले पांच वर्षों में लगभग 123 चुनाव हुए हैं, ऐसे में यदि किसी को चुनाव में प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी जाती है तो फिर जांच एजेंसी द्वारा किसी भी राजनेता को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है और न ही न्यायिक हिरासत में रखा जा सकता है, क्योंकि देश में पूरे साल कोई न कोई चुनाव होता रहता है।
विशेष दर्जे का दावा नहीं कर सकते ईडी ने कहा कि कोई राजनेता विशेष दर्जे का दावा नहीं कर सकते। यदि उन्हें अंतरिम राहत दी जाती है तो यह देश को दो वर्ग में बांटना होगा। ईडी ने कहा कि देशभर में धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत कई राजनेता हैं जो जेल में बंद हैं। ऐसे में कोई उचित कारण नजर नहीं आता है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा अंतरिम जमानत के लिए की गई विशेष प्रार्थना को स्वीकार किया जाए।