कैंसर जैसी घातक बीमारी की पुनरावृत्ति से निपटने में सहायक तीन अणुओं की खोज की गई है। भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के वैज्ञानिकों ने यह शोध किया।
अध्ययन में भारत, फ्रांस और सिंगापुर के शोधकर्ता शामिल थे। कैंसर के उपचार में, डीएनए नष्ट करने वाले एजेंटों का इस्तेमाल कैंसर कोशिकाओ को खत्म करने के लिए किया जाता है। हालांकि, समय के साथ-साथ इन एजेंटों का प्रभाव कम होता जाता है, क्योंकि कैंसर कोशिकाएं क्षतिग्रस्त डीएनए की मरम्मत के लिए तंत्र विकसित करती हैं। इससे एक प्रक्रिया शुरू होती है जिसे आमतौर पर दवाओं के लिए केमोरेसिस्टेंस कहा जाता है, जिससे कैंसर की पुनरावृत्ति और मेटास्टेसिस होती है। यह कैंसर थेरेपी के लिए एक चुनौती है।
इस दल ने काम किया जैव प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत जीनोमिक्स और इम्यूनोलॉजी विभागों के शोधकर्ताओं ने कैंसर रोधी तीन नए अणुओं की पहचान की है। इनके साथ क्षेत्रीय जैव प्रौद्योगिकी केंद्र (आरसीबी) और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के शोधकर्ताओं ने भी इस परियोजना में भाग लिया, जिसमें वैज्ञानिकों की एक विविध टीम शामिल थी।