भागलपुर : दशकों नहीं सदियों पुरानी थाती को संभालकर रखा भागलपुर संग्रहालय (म्यूजियम) भी कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल या पटना म्यूजियम की तरह पर्यटकों को आकर्षित करेगा। अब भागलपुर म्यूजियम को प्रशासन संवारेगा। म्यूजियम के प्रचार-प्रसार से लेकर यहां रखी सदियों पुरानी मूर्तियां, तस्वीर, दस्तावेज, किताब आदि की हिफाजत प्रशासन अपने हाथ में लेने की तैयारी कर रहा है।
इसको लेकर डीएम ने सामान्य शाखा को निरीक्षण कर कार्ययोजना तैयार करने को कहा है। ताकि भविष्य में भागलपुर म्यूजियम भी पर्यटकों की नजर में आए।
व्यवस्था को सुधार के लिए विभाग को जाएगा पत्र प्रशासन की चाहत है कि जिलावासियों को म्यूजियम में रखी मूर्तियां और दस्तावेज दिखाए जाएंगे। बताते हैं कि कार्ययोजना मिलने पर कला, संस्कृति, युवा विभाग को पत्र भेजा जाएगा। विभाग से पूरी व्यवस्था को सुधारने के लिए अनुमति मांगी जाएगी। सबसे पहले संग्रहालय की स्थायी तैनाती और कर्मियों की मांग की जाएगी। एक चतुर्थ वर्गीय कर्मी के बूते संग्रहालय बीते एक-डेढ़ साल से चल रहा है।
दो दिन पहले प्रधान लिपिक की यहां तैनाती हुई है। भागलपुर संग्रहालय की स्थापना 11 नवंबर, 1976 को हुई थी। भागलपुर संग्रहालय भारत के सबसे कीमती संग्रहालयों में से एक है। यहां 6वीं और 7वीं शताब्दी की कई कलाकृतियां हैं। पाल वंश से पहले और मुगल राजवंश से जुड़ी कई चीजें यहां दिख जाएंगी। बौद्ध धर्म के प्रसार के केंद्र रहे सुल्तानगंज में जमीन के अंदर से मिली बुद्ध की मूर्तियां, हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियां, सम्राट अकबर, जहांगीर, औरंगजेब की यादें यहां दिख जाएंगी।
निरीक्षण बाद कार्ययोजना बनाई जाएगी। मतगणना के बाद म्यूजियम को संवारने की दिशा में काम आगे बढ़ेगा। व्यापक प्रचार पर जो दिया जायेगा।
– मिथिलेश प्रसाद सिंह, एसडीसी।