कलकत्ता हाईकोर्ट ने जूनियर डॉक्टर के रेप और मर्डर केस की जांच सीबीआई को सौंप दी है. हाईकोर्ट ने मृत डॉक्टर के परिजनों की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को जमकर फटकार लगायी. कोर्ट ने कहा कि ऐसे गंभीर औऱ संवेदनशील मामले में राज्य सरकार ने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया जिससे डॉक्टरों और आम लोगों के बीच विश्वास पैदा होता. हाईकोर्ट की बेंच ने कहा कि कोर्ट के आर्डर के तुरंत बाद पश्चिम बंगाल पुलिस केस से संबंधित सारे कागजात सीबीआई को सौंप दे.
चीफ जस्टिस टी एस शिवगणनम की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार और अस्पताल प्रशासन पर बेहद गंभीर सवाल उठाये. कोर्ट ने पूछा कि रेप औऱ मर्डर केस की जांच कर रही पुलिस ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज के तत्कालीन प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष से अब तक पूछताछ क्यों नहीं की है. हाईकोर्ट की बेंच ने कहा कि जांच में कुछ गड़बड़ी है. जब मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पद से इस्तीफा दिया था, तो उन्हें इस्तीफे के तुरंत बाद दूसरे मेडिकल कॉलेज में कैसे नियुक्त किया जा सकता है? उनसे सबसे पहले पूछताछ होनी चाहिए थी, जबकि ऐसा नहीं हुआ.
प्रिंसिपल को लंबी छुट्टी पर भेजो
कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार से कहा कि प्रिंसिपल संदीप घोष को लंबी छुट्टी पर भेजिए. अगर आप कुछ नहीं करेंगे तो हमें ऑर्डर पास करना पड़ेगा. उन्हें डॉक्टर की मौत से ज्यादा असर नहीं पड़ा है. उन्हें घर पर रहना चाहिए, कहीं काम करने की जरूरत नहीं है.
कोलकाता हाईकोट् में मृत डॉक्टर के परिजनों ने याचिका दायर की थी. कोर्ट में पीड़ित परिवार के वकील ने कहा कि अस्पताल प्रशासन और पुलिस ने बार-बार गलत जानकारी दी. हमें पहले बताया गया कि पीड़ित डॉक्टर बीमार थी. फिर कहा गया कि उसने आत्महत्या कर ली. पेरेंट्स को अस्पताल बुलाया गया। उन्हें तीन घंटे तक बैठाए रखा गया. पुलिस ने उन्हें मामला सेटल करने को कहा. अब सीएम कह रही हैं कि कुछ दिनों बाद CBI को मामला सौंपेंगे. तब तक तो सबूत ही मिटा दिए जाएंगे. पीड़ित परिवार के वकील ने कोर्ट में कहा कि उन्हें पुलिस पर भरोसा नहीं है. कोलकाता के मौजूदा पुलिस कमिश्नर पर पहले भी गड़बड़ी का आरोप लग चुका है. पीड़ित परिवार का पक्ष जानने के बाद कोर्ट ने तत्काल सीबीआई जांच कराने के आदेश दिये हैं.