कोविड के बाद दुनिया को यह पता चला कि भारत के पास शांति और खुशहाली का रास्ता है: मोहन भागवत.. गुमला (झारखंड): राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने बृहस्पतिवार को कहा कि कोविड-19 महामारी के बाद पूरी दुनिया को यह पता चल गया कि भारत के पास शांति और खुशहाली का रास्ता है।
आरएसएएस प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को कहा कि विकास एक सतत प्रक्रिया है। इसका कोई अंत नहीं है। उन्होंने कहा कि आत्म-विकास करते समय एक मनुष्य सुपरमैन बनना चाहता है, इसके बाद वह देवता और फिर भगवान बनना चाहता है और विश्वरूप की भी आकांक्षा रखता है। लेकिन, वहां से आगे भी कुछ है क्या, यह कोई नहीं जानता है।
संघ प्रमुख ने कहा कि कुछ लोगों में मनुष्य होने के बावजूद मानवीय गुणों का अभाव होता है। उन्हें सबसे पहले अपने अंदर इन गुणों को विकसित करना चाहिए। वे गुरुवार को गुमला के विशुनपुर में विकास भारती संस्था में आयोजित ग्राम स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
भागवत ने कहा कि विकास का अंत नहीं है। देश में नए-नए आयाम स्थापित करने की जरूरत है,मगर मूल स्वभाव बरकरार रहना चाहिए। देश के जनजातीय समाज का अपेक्षित विकास नहीं हुआ है। वे आज भी अभावों से घिरे हैं। वहां काम की जरूरत है। अन्यथा जिनके पास प्रभाव है, वे इस समाज के अभाव को दूर कर उनका पूरा स्वभाव ही बदल देंगे। उनका इशारा धर्मांतरण की ओर था। भागवत ने यह भी कहा कि जहां तपस्या है, वहां परिणाम है। सोच-समझ कर किया गया कार्य रंग लाता है।