नवगछिया : खरीक प्रखंड के सिंहकुंड गांव में कोसी नदी का कटाव जारी है। कटाव की रफ्तार इतनी तेज है कि पल में सैकड़ों टन मिट्टी कट कर नदी में समा जा रही है। लोग खुद ही अपना घर तोड़ रहे हैं। गुरुवार को भी कटाव में दो घर कटकर नदी में समा गए। कटाव रोकने के लिए चलाया जा रहा कटाव निरोधी कार्य भी कटकर नदी में समा गया।
वहीं, जिलेबियामोड़ के पास तो अबतक बचाव कार्य भी शुरू हो हो पाया है। वहीं, ग्रामीण सूरज सिंह राजपूत, उमेश ठाकुर, सविता कुमारी, अजय सिंह आदि ने बताया कि कटाव में अब तक 21 लोगों का घर नदी में समा चुका है।
कदवा के ठाकुरजी कचहरी टोला में कटाव निरोधी कार्य शुरू
कदवा के ठाकुरजी कचहरी टोला में कोसी नदी से हो रहे कटाव को देखते हुए गुरुवार को कटाव निरोधी कार्य शुरू कर दिया गया है। कटाव ठाकुरजी कचहरी टोला से होते हुए भरोसा सिंह टोला की ओर बढ़ रहा है। कटाव स्थल पर काम करा रहे संवेदक अमरेश कुमार व जेईई रविन्द्र कुमार यादव ने बताया कि जिस जगह पर कटाव हो रहा है, वहां बांस व मिट्टी भरी बोरियां गिराई जा रही है। वहीं ग्रामीणों ने बताया कि विभाग की ओर से सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है।
कहलगांव में 72, इस्माईलपुर में 59 सेमी जलस्तर में वृद्धि
भागलपुर। भागलपुर में प्रमुख नदियों के जलस्तर में गुरुवार को भी बढ़ोतरी दर्ज की गई। पिछले 24 घंटे के अंदर गंगा सुल्तानगंज में 40 सेमी बढ़ी। जबकि भागलपुर में 62 सेमी, कहलगांव में 72 सेमी, राघोपुर में 65 सेमी और इस्माईलपुर बिंद टोली के पास 59 सेमी बढ़ी। कोसी सहोरा में 39 सेमी बढ़ी। बाढ़ नियंत्रण विभाग के अभियंताओं ने बताया कि गंगा में 15 जुलाई तक वृद्धि रहेगी। हालांकि नदी में पानी सभी प्वाइंट पर खतरे के निशान से काफी नीचे है। केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक सुल्तानगंज में 29.57 मीटर, भागलपुर में 29.70 मीटर, कहलगांव में 28.93 मीटर, राघोपुर में 30.90 मीटर और इस्माईलपुर बिंदटोली में 29.21 मीटर पर गंगा का जलस्तर रहा। कोसी नदी सहोरा में 28.12 मीटर पर बह रही थी।
पीरपैंती के टपुआ दियारा में कटाव तेज
पीरपैंती। रानी दियारा पंचायत का टपुआ दियारा गंगा के बढ़ रहे जल स्तर से कटाव की चपेट में आने लगा है। इसी तरह कटाव तेज रहा तो गांव पर भी खतरा मंडराने लगेगा। ग्रामीण सुबोध यादव, अजय कुमार, पूर्व मुखिया अमित सिंह, महेश्वर साह, जवाहर सिंह, पिंटू यादव आदि का कहना है कि हर साल जब कटाव तेज हो जाता है तब कटाव निरोधी कार्य कराए जाते हैं। जिसका कोई लाभ नहीं होता। पश्चिम दिशा में पानी काफी तेजी से बढ़ रहा है, जिस कारण धीमा कटाव भी हो रहा है।