राज्यसभा सांसद संजय झा को जेडीयू का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को दिल्ली में चल रही जदयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में संजय झा को कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने का प्रस्ताव लाया जिसका सभी ने समर्थन किया. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले संजय झा को कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने का फैसला सियासी तौर पर बेहद अहम माना जा रहा है. पहली बार राज्यसभा के सांसद बने संजय झा को इसी सप्ताह राज्यसभा में जदयू संसदीय दल का नेता बनाया गया था. ऐसे में अब सीएम नीतीश ने पार्टी में नंबर 2 की जिम्मेदारी संजय झा को देकर बड़ा संदेश दिया है.
भाजपा से सियासी सफर शुरू : दरअसल, नीतीश कुमार ने इसी वर्ष महा गठबंधन से नाता तोड़कर एनडीए में वापसी की थी. जदयू की एनडीए में वापसी कराने में अहम भूमिका संजय झा की मानी जाती है. साथ ही संजय झा को भाजपा और जदयू में समन्वय स्थापित करने में अहम कड़ी के तौर पर देखा जाता है. इसका एक बड़ा कारण संजय झा का शुरुआती दौर में एबीवीपी से शुरू हुआ सियासी सफर है. संजय कुमार झा ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत बीजेपी के साथ की थी. इसके बाद साल 2012 में जेडीयू में शामिल हो गए. दो साल बाद उन्होंने पार्टी के टिकट पर बिहार की दरभंगा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन वह हार गए. उस वक्त जेडीयू अकेले लोकसभा चुनाव में उतरी थी. बताया जाता है कि बीजेपी में सजंय कुमार झा के गॉडफादर अरुण जेटली थे. जेएनयू से पढाई करने के कारण वहीं उनकी भाजपा नेताओं से पहचान बनी थी.
नीतीश की वापसी के सूत्रधार : वहीं जदयू में आने के बाद संजय झा बेहद कम समय में नीतीश कुमार के करीबियों में शामिल हो गए. नीतीश कुमार के साथ सरकार में मंत्री के रूप में काम करने के साथ ही पार्टी संगठन पर भी झा की नजर रहती . नीतीश कुमार जब वर्ष 2014 में बिहार में एनडीए से अलग होकर चुनाव में उतरे और फिर 2015 बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश ने लालू यादव के साथ मिलकर चुनाव लड़ा तो उसके बाद 2017 में जदयू की फिर से एनडीए में वापसी में संजय झा ने अहम् भूमिका निभाई. इसका खुलासा खुद जदयू के पूर्व अध्यक्ष ललन सिंह ने 2022 में किया था जब नीतीश कुमार एनडीए से अलग होकर फिर से लालू यादव के साथ महागठबंधन में आ गए थे. वहीं 2024 में फिर से जदयू की एनडीए में वापसी में संजय झा को मुख्य सूत्रधार माना गया. ऐसे में पार्टी और सरकार में मजबूत पकड़ के साथ ही भाजपा के साथ बेहतर समन्वय स्थापित करने वालों में संजय झा की प्रमुख भूमिका रही है.
एनडीए में बनेंगे सेतु : एक साल बाद बिहार में विधानसभा चुनाव है. चुनाव को लेकर अभी से एनडीए के घटक दलों की ओर से कई तरह के बयान आने शुरू हो गये हैं. अब संजय झा को कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर सीएम नीतीश ने अपने राजनीतिक संकेत को परिलक्षित कर दिया है कि एक कड़ी के रूप में झा को रखना चाहते हैं. एक ऐसा पुल जो एनडीए में जदयू और भाजपा में बेहतर तालमेल बनाकर रखे. सियासत में संकेत अक्सर सूक्ष्म होते हैं. अब वही सूक्ष्म संकेत संजय झा के रूप में है जो दिल्ली में राज्यसभा सदस्य के रूप में रहेंगे तो वहां भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के साथ बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर जदयू के लिए मजबूत मांगों को रखेंगे.
3 बार एमएलसी, 3 बार मंत्री : वर्ष 2006 में संजय झा पहली बार एमएलसी बने थे. अब तक तीन बार एमएलसी और पहली बार राज्यसभा सांसद बने संजय झा जनता दल (यूनाइटेड) के राष्ट्रीय महासचिव रह चुके हैं. वहीं बिहार सरकार में मंत्री के रूप में तीन कार्यकाल दे चुके हैं. संजय कुमार झा ने बिहार सरकार के जल संसाधन मंत्री की जिम्मेदारी तीन बार संभाली. साथ ही नीतीश कुमार के सबसे करीबी और सबसे भरोसेमंद नेता के रूप में भी जाना जाता है. अब इन तमाम अनुभवों का लाभ जदयू उनके कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में लेना चाहेगी.