क्या है 25 मई 2024 का पंचांग, जानें शुभ-अशुभ मुहूर्त और राहु काल का समय
पंचांग का असर हमारे जीवन पर गहरा पड़ता है। अगर अशुभ घड़ी में कोई शुभ कार्य किया जाता है तो उसमें सफलता मिलनी मुश्किल होती है। ऐसे में आज का पंचाग क्या है आइए जानते हैं।
आज का पंचांग – 25 मई 2024 शनिवार वैशाख कृष्ण पक्ष द्वितीया तिथि है. हिन्दू पंचांग के अनुसार आज ज्येष्ठा नक्षत्र है. ज्येष्ठा नक्षत्र, जिसे रोहिणी भी कहा जाता है, वैदिक ज्योतिष में 13वां नक्षत्र है. यह नक्षत्र मिथुन राशि के अंतिम 2.67 अंश और कर्क राशि के पहले 23.33 अंश में स्थित है. यह नक्षत्र देवता इंद्र द्वारा शासित है और इसका स्वामी ग्रह बृहस्पति है. ज्येष्ठा नक्षत्र “ज्येष्ठ” शब्द से निकला है जिसका अर्थ है “बड़ा” या “वरिष्ठ”. ज्येष्ठा नक्षत्र में जन्मे जातक बुद्धिमान, ज्ञानी, और रचनात्मक होते हैं. इनमें नेतृत्व करने की क्षमता होती है और ये समाज में सम्मानित होते हैं. ये दयालु, उदार और दूसरों की मदद करने वाले होते हैं. ज्येष्ठा नक्षत्र के जातक स्वाभाविक रूप से साहसी, आत्मविश्वासी और नेतृत्व क्षमता से परिपूर्ण होते हैं. वे अपने जीवन में उच्च पदों पर आसीन होते हैं और अपने कार्यक्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करते हैं. ज्येष्ठा नक्षत्र के लिए सही उपाय और सावधानियां अपनाकर वे अपने जीवन को और भी सफल और संतुलित बना सकते हैं।
आज का पंचांग
तिथि- द्वितीया – 19:00:23 तक
नक्षत्र- ज्येष्ठा – 10:36:32 तक
करण- तैतिल – 07:17:03 तक, गर – 19:00:23 तक
पक्षकृष्ण
योग- सिद्ध – 10:05:40 तक
वार- शनिवार
सूर्य व चन्द्र से संबंधित गणनाएं
सूर्योदय- 05:25:23
सूर्यास्त- 19:10:58
चन्द्र राशि- वृश्चिक – 10:36:32 तक
चन्द्रोदय- 21:15:59
चन्द्रास्त- 06:23:00
ऋतु- ग्रीष्म
हिन्दू मास एवं वर्ष
शक सम्वत- 1946 क्रोधी
विक्रम सम्वत- 2081
काली सम्वत- 5125
प्रविष्टे / गत्ते- 12
मास पूर्णिमांत- ज्येष्ठ
मास अमांत- वैशाख
दिन काल- 13:45:35
अशुभ समय (अशुभ मुहूर्त)
दुष्टमुहूर्त- 05:25:23 से 06:20:25 तक, 06:20:25 से 07:15:27 तक
कुलिक- 06:20:25 से 07:15:27 तक
कंटक- 11:50:39 से 12:45:42 तक
राहु काल- 08:51:47 से 10:34:59 तक
कालवेला / अर्द्धयाम- 13:40:44 से 14:35:47 तक
यमघण्ट- 15:30:49 से 16:25:51 तक
यमगण्ड- 14:01:22 से 15:44:34 तक
गुलिक काल- 05:25:23 से 07:08:35 तक
शुभ समय (शुभ मुहूर्त)
अभिजीत- 11:50:39 से 12:45:42 तक
दिशा शूल
दिशा शूल- पूर्व
हिंदू पंचांग का उपयोग धार्मिक और सामाजिक कार्यों के लिए मुहूर्तों का चयन, उत्सवों के तारीखों का निर्धारण, शुभ कार्यों के लिए समय निर्धारण, ग्रहण और सूर्यग्रहण की तारीखों का निर्धारण, और धार्मिक त्योहारों के महत्वपूर्ण तिथियों के लिए किया जाता है।
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