अजगैवीनाथ धाम की पुण्य पावन धरती पर अवतरित महादेव शिव की मनोकामना मंदिर त्रेता काल से ही शिव भक्तों की हर मनोकामना को पूर्ण कर रहा है। सावन के महीने में यहां शिव भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। कहा जाता है कि भगवान शिव का त्रिशूल यहीं स्थापित है।गंगा की लहरों के बीचो-बीच ग्रेनाइट पत्थर से बेहद बारीक तरीके से बना यह मंदिर विराट दिव्य और अलौकिक है। मंदिर का प्रांगण मनमोहित करने है वाला है।
मन मोहने वाला है मंदिर का नजारा
यहां के पत्थरों पर उत्कृष्ट नक्काशी और शिलालेख श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं। गंगा के लहरों के साथ अटखेलिया करता यह मंदिर पूर्व बिहार और अंग क्षेत्र का मान सम्मान और अभिमान है।भागलपुर से 26 किलोमीटर दूर पश्चिम सुल्तानगंज में उत्तरायणी गंगा के मध्य स्थित यह मंदिर पहाड़ पर स्थित है। मंदिर के चारों तरफ पहाड़ों पर फैली हरियाली, इसे प्राकृतिक रूप से सुंदर बनाते हैं।
दर्शन मात्र से पूरी होती है मनोकामना
मान्यता है कि मंदिर में स्थापित मनोकामना शिवलिंग के दर्शन मात्र से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। यही भी मान्यता है कि यहां भगवान शिव का त्रिशूल है, जिसके दर्शन से पुण्य मिलता है।सावन में अजगैवीनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। ऐसा माना जाता है कि मंदिर की गर्भगृह से एक रास्ता सीधे देवघर की बाबा बैद्यनाथ शिव मंदिर तक जाता है। पहले इसी रास्ते से प्रतिदिन यहां के पुजारी गंगाजल लेकर बाबा बैद्यनाथ धाम पर जल अर्पण करते थे।
अंग क्षेत्र की धार्मिक और सांस्कृतिक राजधानी अजगैबीनाथ धाम है, वेदों ,पुराणों और दुर्गा सप्तशती के अलावा अनंत काल से देशों और विदेशों में हमारी पहचान अजगैबीनाथ धाम और उत्तरवाहिनी गंगा को लेकर ही है।
आध्यात्म और पर्यटन का बना केंद्र
वर्तमान में यह आध्यात्म और पर्यटन का एक विकसित केंद्र बन चुका है। यहां के लाखों लोगों की अर्थव्यवस्था मंदिर पर ही टिकी है। यह मंदिर सरकार के राजस्व को भी समृद्ध बनाने का काम करती है।