घरेलू खाद्य बाजार 2027 तक 47 प्रतिशत बढ़कर 1,274 अरब डॉलर पर पहुंच सकता है। डैनफॉस इंडिया के समर्थन से भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत की खाद्य प्रसंस्करण इंडस्ट्री में उभरते हुए स्टार्टअप नई और इनोवेटिव टेक्नोलॉजी लेकर आएंगे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि खाद्य प्रसंस्करण इंडस्ट्री में दक्षिण के राज्यों का दबदबा है। तमिलनाडु, भारत के प्रसंस्करण किए हुए फल, जूस और नट्स में सबसे आगे है। देश के दक्षिणी राज्य की मात्रा के हिसाब से 33 प्रतिशत और वैल्यू के हिसाब से 27 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। वित्त वर्ष 2023-24 में 2,08,370 मीट्रिक टन का निर्यात किया गया था। इसका मूल्य 220.81 मिलियन डॉलर था।
इस स्टडी में इंडस्ट्री के उभरते हुए ट्रेंड, टेक्नोलॉजी और निर्यात अवसरों के बारे में बिजनेस को बताया गया है, जिससे वह सही फैसले लेकर आने वाले अवसरों का लाभ उठा सकें।
सीआईआई में नेशनल काउंसिल फॉर कोल्ड चैन और एग्री लॉजिस्टिक के चेयरमैन रविचंद्रन पुरुषोत्तमन का कहना है कि दक्षिण भारत की खाद्य प्रसंस्करण इंडस्ट्री क्रांति के मुहाने पर है, जिसमें बाजरा, रेडी-टू-ईट और प्लांट आधारित डेयरी जैसे उत्पाद किसानों के लिए नए अवसर खोल रहे हैं।
नई रिपोर्ट से जानकारी मिलती है कि टेक्नोलॉजी, सुरक्षा मानक और गुणवत्ता सुनिश्चित कर आसानी से वैश्विक स्तर पर भारत के खाद्य निर्यात को बढ़ाया जा सकता है।
इससे पहले सीआईआई की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि सरकार की ओर से घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण को बढ़ावा दिए जाने के कारण देश के इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट और सब-असेंबली का बाजार 2030 तक 240 अरब डॉलर के आंकड़े को छू सकता है। इससे 2026 तक करीब 2.8 लाख नई नौकरियां पैदा होंगी और 500 अरब डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन के लक्ष्य का मार्ग प्रशस्त होगा।