अक्सर हर बार की तरह इस बार भी पहाड़ी तहसील बनी में संदिग्ध दिखने के बाद गायब हो गए हैं। सिर्फ बनी में ही नहीं जहां जहां भी संदिग्ध दिखते हैं तो सुरक्षाबल के जवान उस क्षेत्र की घेराबंदी कर तलाशी अभियान चलाते हैं, लेकिन सफलता नहीं मिलती है। यही वजह है कि जिले में ऐसी संदिग्ध गतिविधिंयां समय समय पर देखी जाती है।
इसका मुख्य कारण जिले से सटी भारत-पाक से सटी अंतरराष्ट्रीय सीमा है। जहां से कुछ स्थानों से घुसपैठ की आशंका बनी रहती है। जिले में हीरानगर स्थित भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा पिछले तीन दशक से सीमा पार से पाक प्रायोजित आतंकवाद के कारण घुसपैठ के मामले काफी संवेदनशील मानी जाती है। इसी के चलते जिले में संदिग्ध देखे जाने या संदिग्ध गतिविधियां होती रहती हैं।
संदिग्ध नजर आने से लोग दहशत में
स्थानीय निवासियों का कहना है कि काफी समय के बाद बनी जैसे शांत माहौल में संदिग्ध नजर आने से लोग दहशत में हैं। तीन दिन से बनी में बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाने के बाद भी संदिग्ध नजर नहीं आए हैं। वो कहां और किस रूट पर चले गए हैं,इसका किसी को न पता है न किसी के पास अनुमान है। क्योंकि गत दिवस डग्गर में दो अलग अलग स्थानों पर बनाई गई डोक में स्थानीय निवासियों को हथियार उठाए कंधे पर बैग और कश्मीरी ड्रेस में संदिग्ध दिखे, उसके बाद किसी को कहीं नहीं दिखाई दिए।
सेना ने इलाके की घेराबंदी कर रखी है
ऐसे में अगर एक आध दिन और तलाशी अभियान के बाद भी नहीं मिलते हैं तो तलाशी अभियान बंद करना पड़ेगा। हालांकि सेना और पुलिस के जवानों ने क्षेत्र में तलाशी अभियान को जारी रखा है। जगह-जगह खंगाल कर संदिग्धों को ढूंढ रहे हैं। उम्मीद है कि सुरक्षाबलों को सफलता जरूर मिलेगी। सेना ने हेलीकॉप्टर की मदद से चारों ओर से इलाके की घेराबंदी कर रखी है। दूसरा वहां पर बड़े बड़े पहाड़ होने के कारण तलाशी अभियान चलाना भी आसान नहीं है।
बड़े बड़े पत्थरों के नीचे सुरंगे जैसी जगह बनी होती है,जहां पर छिपने के लिए सुरक्षित जगह है और वहां सुरक्षा बलों का पहुंचना शायद मुश्किल हो सकता है। यही वजह है कि तीन दिन तक तलाशी अभियान के बावजूद सुरक्षा बलों को सफलता नहीं मिल पाई है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है अक्सर होता आ रहा है,जहां भी कोई संदिग्ध गतिविधि लोग दिखने के बाद सूचना देते हैं तो वहां सुरक्षाबलों के पहुंचने के बाद कोई सुराग नहीं मिलता है।
संदूरून की पहाड़ियों में संदिग्ध दिखे थे
दो साल पहले भी बनी के संदूरून की पहाड़ियों में संदिग्ध दिखे थे। उसके बाद सर्च अभियान चलाने के बाद कोई सफलता नहीं मिली थी। अब तो बनी से 35 किलोमीटर दूर ढग्गर में आतंकी दिखे हैं, जहां पर 15 किलोमीटर पैदल रास्ता है,उसके बाद दूसरी दिशा में सरथल जिसकी सीमा डोडा से लगती है। वहां तक आतंकियों का पहुंचना मुश्किल है, क्योंकि बड़े बड़े पहाड हैं। ऐसे में वो अभी उसी क्षेत्र में छिपने की पूरी संभावना का मौका पा रहे हैं,जब सुरक्षा बल तलाशी अभियान बंद कर वापस लौट आएंगे तो वो आगे पीछे हो सकते हैं।
स्थानीय लोगों ने उन्हें करीब से देखा था, उनके पास खाना आदि बनाने के लिए दो पतीले भी थे। इसका मतलब जहां वह रुकेंगे वहां पर किसी भेड़ आदि को उठाकर खाना बनाएंगे। दो दिन से ढग्गर के निवासी रात को अपने घरों की सभी लाइट बंद करके सो रहे हैं, क्योंकि लाइट से वो किसी न किसी के घर में बंदूक की नोक पर शरण ले सकते हैं।
फिलहाल बनी क्षेत्र के लोगों में डर का माहौल जरूर बना है। सेना या पुलिस के अलावा सिविल प्रशासन का अधिकारी आतंकियों की तलाशी अभियान पर कोई प्रतिक्रिया देने को तैयार नहीं है, लेकिन अभियान जारी होने की बात जरूर करते हैं।
बांडीपोरा में आतंकियों के दो मददगार गिरफ्तार
सुरक्षाबलों ने बुधवार को उत्तरी कश्मीर के बांडीपोरा में आतंकियों के दो मददगार गिरफ्तार कर लिए। यह दोनों लश्कर-ए-तैयबा के लिए काम करते हैं। दोनों सगे भाई हैं। उनकी निशानदेही पर हथियारों का एक जखीरा भी बरामद किया गया है। पुलिस के अनुसार, आतंकियों के पकड़े गए मददगारों के नाम हिलाल अहमद गोजर गुरियाल और मोहम्मद इकबाल गोजर गरियाल है।