चीन ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के सबसे बड़े क्रेटर पर उतारा चांग ई-6

Chang e 6

चीन के इस मिशन में वह अकेला नहीं है। इसमें उसके साथ तीन देश भी शामिल हैं। चीन चंद्र मिशन में अंतरराष्ट्रीय पेलोड लेकर गया है। इसमें पृथ्वी के प्राकृतिक उपग्रह की सतह पर रेडॉन गैस और उसके क्षय उत्पादों की एकाग्रता को मापने के लिए फ्रांसीसी डिटेक्टर डीओआरएन है। यह पहली बार है जब चीन ने अपने चंद्र मिशन में सहयोगी देश पाकिस्तान के एक ऑर्बिटर को भी शामिल किया है।

बीजिंग। चीन का चंद्र मिशन चांग ई-6 रविवार को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतर गया। यह यान एटकेन बेसिन क्रेटर पर उतरा, जो चांद पर अभी तक का ज्ञात सबसे बड़ा क्रेटर है। यह पहली बार है कि कोई यान एटकेन बेसिन क्रेटर पर उतरा है।

यान चांद से मिट्टी-पत्थर लेकर पृथ्वी पर लौटेगा। यह मिशन अमेरिका, जापान और भारत के साथ बढ़ती प्रतिद्वंद्विता के बीच शुरू किया गया है। वर्ष 2020 में चांग ई-5 ने भी चंद्रमा से नमूने एकत्रित किए थे। चांग ई-6 का उद्देश्य दो दिन के भीतर चांद की मिट्टी के नमूने एकत्र करना है।

23 दिन का मिशन 

चांग ई-6 में एक कक्षीय मॉड्यूल वाहन और एक लॉन्च मॉड्यूल है। इसमें एक लैंडिंग कैमरा, एक पैनोरमिक कैमरा, एक खनिज विश्लेषण उपकरण और एक चंद्र मिट्टी संरचना विश्लेषण उपकरण के पेलोड भी हैं। चीन का लक्ष्य 23 दिन के भीतर अपने मिशन को पूरा करना है।

दक्षिण ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश भारत

भारत पिछले साल चंद्रमा के कम खोजे गए दक्षिणी ध्रुव हिस्से पर उतरने वाला पहला देश बन गया था। प्रज्ञान रोवर को लेकर जा रहा चंद्रयान-3 का लैंडर वहां सफलतापूर्वक उतरा था। चांग ई-6 में एक कक्षीय मॉड्यूल वाहन और एक लॉन्च मॉड्यूल है। इसमें एक लैंडिंग कैमरा, एक पैनोरमिक कैमरा, एक खनिज विश्लेषण उपकरण और एक चंद्र मिट्टी संरचना विश्लेषण उपकरण के पेलोड भी हैं। चीन का लक्ष्य 23 दिन के भीतर अपने मिशन को पूरा करना है।

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