भाकपा-माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने गुरुवार को बयान जारी कर आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने प्रधानमंत्री और भाजपा के बड़े नेताओं द्वारा बार-बार आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों पर कोई कार्रवाई करने से इनकार कर अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों से पूरी तरह से पल्ला झाड़ लिया है।
कहा कि मतदान के अंतिम आंकड़ों की घोषणा में अत्यधिक देरी और उन्हें भी केवल प्रतिशत के रूप में घोषित किया जाना, तथा अंतिम आंकड़ों में बड़े पैमाने पर वृद्धि की वजह से मतदाताओं और चुनाव पर्यवेक्षकों के बीच चिंताएं बढ़ गई हैं। उन्होंने कहा कि पारदर्शिता के साथ मतदान के आंकड़ों को जारी करने में आयोग की अनिच्छा और देरी ने मौजूदा चुनाव के दौरान चिंताजनक सवाल खड़े कर दिए हैं।
चुनाव आयोग द्वारा दिये अंतिम वोट प्रतिशत के आंकड़े मतदान के दिन या अगली सुबह घोषित आंकड़ों की तुलना में अभूतपूर्व बढ़ोतरी दिखा रहे हैं। कुल बढ़ोतरी 1.07 करोड़ वोटों की है। इसका मतलब है कि पहले चार चरणों के 379 निर्वाचन क्षेत्रों में हुए मतदान में औसतन 28,000 वोटों की बढ़ोतरी हुई है।
कुछ राज्यों और निर्वाचन क्षेत्रों में यह बढ़ोतरी वृद्धि दस और बीस प्रतिशत से भी अधिक है। सुप्रीम कोर्ट ने अब मांग की है कि चुनाव आयोग इस देरी के लिए स्पष्टीकरण दे और मतदान के वास्तविक आंकड़ों का सार्वजनिक रूप से खुलासा करे। लेकिन, चुनाव आयोग बेबुनियाद तर्कों का सहारा ले रहा है। ठीक वैसे ही जैसे एसबीआई ने चुनावी बॉन्ड योजना के दाता और प्राप्तकर्ता का विवरण का खुलासा करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को बाधित करने की कोशिश की थी।