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जगन्नाथ पुरी में इस वर्ष दो दिनों में निकलेगी रथ यात्रा, 53 वर्ष बाद ऐसा संयोग, 7 और 8 जुलाई को होंगे विधान

जगन्नाथ पुरी में निकलने वाली वार्षिक रथ यात्रा इस वर्ष दो दिन में निकाली जाएगी. यह विशेष अवसर 53 साल के बाद आ रहा है जब जगन्नाथ पुरी में रथ यात्रा दो दिनों तक चलेगी. जगन्नाथ मंदिर का पंचांग बनाने वाले ज्योतिषी का कहना है कि इस साल आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष में तिथियां घट गई. इसी कारण रथयात्रा से पहले होने वाली पूजा परंपराएं 7 जुलाई की शाम तक चलेंगी. रथयात्रा की तिथि में बदलाव नहीं किया जा सकता, इसलिए सुबह शुरू होने वाली रथयात्रा शाम को शुरू होगी. इससे पहले 1971 में भी ऐसा ही हुआ था.

53 वर्षों के बाद यह एक विशेष अवसर है जब दो दिनों तक रथ यात्रा के विधान होंगे. इसके तहत 7 जुलाई को दिनभर पूजा के अलग अलग विधान होंगे और परंपराएं चलेंगी. अनुमान है कि शाम को 4 बजे के आसपास रथयात्रा शुरू हो जाएगी. चूकी सूर्यास्त के बाद रथ नहीं हांके जाते हैं, इसलिए रथ रास्ते में ही रोके दिए जाएंगे. 8 जुलाई को सुबह जल्दी रथ चलना शुरू होंगे और इसी दिन गुंडिचा मंदिर पहुंच जाएंगे. दो दिवसीय रथ यात्रा को लेकर इस बार पुरी में दो दिनों की सार्वजनिक छुट्टी भी रहेगी.
रथ यात्रा के तहत होने वाले ‘नबजौबाना दर्शन’, ‘नेत्र उत्सव’ भी तिथि अनुरूप ही मनाया जाएगा और इसके बाद दो दिनों तक रथ यात्रा का विधान होगा. दरअसल, आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष में इस बार 15 की जगह सिर्फ 13 तिथियां हैं इसी कारण यात्रा के जुड़े पूजन विधानों में दिन की कमी हो रही है. इसके काट के लिए अब 7 जुलाई को भगवान जगन्नाथ के नवयौवन श्रृंगार के दर्शन होंगे. इसके साथ नैत्रोत्सव भी होगा. इसी अनुरूप 7 जुलाई की शाम में भगवान जगन्नाथ, अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर सवार होकर निकलेंगे. तीनों रथों को मुख्य मन्दिर से कुछ आगे ले जाकर रोका जाएगा. फिर अगले दिन यानी 8 जुलाई को रथ यात्रा सुबह के समय प्रारम्भ होगी. इसके पहले विधिवत पूजा अर्चना की जाएगी. वहां से तीनों रथ गुंडिचा मंदिर तक जाएंगे.
 नवजौबन दर्शन नहीं  :वहीं भगवान जगन्नाथ की वार्षिक रथ यात्रा के सभी अनुष्ठानों के सुचारू और समय पर संचालन के लिए, मंदिर प्रशासन ने निर्णय लिया है कि इस वर्ष भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहनों के नवजौबन दर्शन नहीं होंगे.  श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के मुख्य प्रशासक वीर विक्रम यादव ने कहा कि मंदिर प्रशासन ने नबाजौबन दर्शन की अनुमति नहीं देने का फैसला किया है, क्योंकि इस वर्ष रथ यात्रा, नबाजौबन दर्शन और नेत्र उत्सव एक ही दिन पड़ रहे हैं, जिससे श्रीमंदिर में भारी भीड़ उमड़ने की उम्मीद है.
रथ यात्रा कब होती है : हर साल आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की दूसरी तिथि को भगवान जगन्नाथ, अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर सवार होकर मुख्य मंदिर से 3 किलोमीटर दूर गुंडिचा मंदिर तक जाते हैं. भगवान अगले 7 दिनों तक इसी मंदिर में रहते हैं. आठवें दिन यानी दशमी तिथि को तीनों रथ मुख्य मंदिर के लिए लौटते हैं. भगवान की मंदिर वापसी वाली यात्रा को बहुड़ा यात्रा कहा जाता है.

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