जब मुश्किल दौर से गुजर रहा था मालदीव, तब चीन नहीं.. भारत ने दिया था साथ! मिल गया प्रमाण

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भारत और मालदीव के बीच पर्यटन के अतिरिक्त, जातीय, भाषाई, सांस्कृतिक, धार्मिक और वाणिज्यिक संबंध हैं। न सिर्फ इतना, बल्कि आपदाओं की स्थिति में भारत, मालदीव की सहायता के लिए पहली पंक्ति में मौजूद रहने वाले देशों में शुमार है।

बीते दो दिनों से भारत में मालदीव को लेकर जबरदस्त विरोध चल रहा है… तमाम सोशल मीडिया पर ‘Boycott Maldives’ ट्रेंड कर रहा है. भारतीय, जो हाल फिलहाल में मालदीव की ट्रिप प्लान कर रहे थे, उन्होंने भी अपनी फ्लाइट्स कैंसिल कर दी है. यहां तक कि ऑनलाइन ट्रैवल एंड टूरिज्म कंपनी EaseMy Trip ने तो मालदीव के लिए सभी बुकिंग रद्द करने का ऑफिशियल अनाउंसमेंट कर दिया है. ऐसे में भारत के इस बड़े कदम का गंभीर प्रभाव मालदीव की अर्थव्यवस्था पर पड़ना शुरू हो चुका है, मगर क्या आप जानते हैं कि टूरिज्म के अलावा भी मालदीव भारत और भारतीयों पर बहुत ज्यादा निर्भर है…

मालूम हो कि, भारत और मालदीव के बीच पर्यटन के अतिरिक्त, जातीय, भाषाई, सांस्कृतिक, धार्मिक और वाणिज्यिक संबंध हैं. न सिर्फ इतना, बल्कि आपदाओं की स्थिति में भारत, मालदीव की सहायता के लिए पहली पंक्ति में मौजूद रहने वाले देशों में शुमार है. चाहे कोरोना काल हो, मीजल्स का प्रकोप या फिर साल 1988 में तख्तापलट का दौर… या फिर 2015 में मालदीव को जलसंकट से उबाराने के लिए ऑपरेशन नीर. भारत हर नकारात्मक स्थिति में मालदीव के लिए मौजूद रहा।

भारत, मालदीव को देता है आर्थिक मदद..

यही नहीं, 1965 में मालदीव के आजाद होने के बाद उसे मान्यता देने और राजनयिक स्थापना करने वाले पहले देशों भारत का नाम अव्वल था. भारत, मालदीव की सुरक्षा के साथ-साथ मालदीव की आर्थिक और सामाजिक वृद्धि का भी मुख्य भागीदार है. फिलहाल के वक्त में मालदीव में भारतीयों की कुल संख्या 27,000 के करीब है, हर साल बड़ी संख्या में मालदीव के सैकड़ों युवा, भारतीय विश्वविद्यालयों से उच्च शिक्षा हासिल करते हैं, जिन्हें स्कॉलरशिप और ट्रेनिंग जैसी सुविधाएं भी दी जाती है।

न सिर्फ इतना, बल्कि भारत मालदीव की आर्थिक सहायता में एक मुख्य सहयोगियों में शुमार रहा है. चाहे आर्थिक चुनौतियों से निपटना हो या फिर अस्पतालों और कॉलेज जैसी आधारभूत संरचनाओं का निर्माण, भारत हमेशा मालदीव की मदद करता रहा है।

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