बिहार में चल रहे भूमि सर्वेक्षण के बीच नीतीश सरकार अब जमीन की रजिस्ट्री दरों को बढ़ाने को लेकर विचार कर रही है. बिहार में जमीन रजिस्ट्री शुल्क को परिवर्तित किया जाए या नहीं इसे लेकर नीतीश सरकार ने अपने स्तर पर निर्णय लेने के बदले एक कमेटी का गठन किया है. अब कमेटी इस मुद्दे पर बैठक कर जमीन रजिस्ट्री से जुड़े विभिन्न तथ्यों पर मंथन करेगी उसके बाद रजिस्ट्री शुल्क बढ़ाने को लेकर बड़ा फैसला ले सकती है. कमेटी की अनुशंसा के बाद राज्य सरकार यह तय करेगी की जमीन रजिस्ट्री शुल्क में कैसा बदलाव हो. क्या इसे बढ़ाया जाए या फिर रजिस्ट्री शुल्क को अपरिवर्तित रखा जाए. वहीं यह भी कहा जा रहा है कि सरकार जमीन रजिस्ट्री शुल्क में कमी करने का भी फैसला ले सकती है.
निबंधन, उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के सचिव सह आयुक्त की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई है. वहीं राज्य के मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा की अध्यक्षता में इस मामले को लेकर जल्द ही एक बैठक होगी. इसमें एमवीआर (निबंधन की न्यूनतम दर) की संभावित दर या चुनिंदा क्षेत्रों में अगर दर बढ़ोतरी की गुंजाइश बनती है तो इसे अंतिम रूप देने पर रिपोर्ट तैयार की जाएगी. कमेटी कि रिपोर्ट के आधार पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार एमवीआर को बदलने पर अपना अंतिम निर्णय लेगी.
नीतीश सरकार ने कब कब बदला एमवीआर : वर्ष 2005 में नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने के बाद से बिहार में जमीन रजिस्ट्री की दरों में अलग अलग समय में बदलाव किया गया है. 2013 में ग्रामीण और 2016 में शहरी इलाकों में एमवीआर की दर में बढ़ोतरी की गई थी. इस दौरान करीब 150 फीसदी दर में बढ़ोतरी की गई थी. हालांकि वर्ष 2014 तक राज्य में प्रतिवर्ष एमवीआर की बढ़ोतरी का प्रावधान था. वर्ष 2014 तक करीब करीब हर वर्ष 10 फीसदी एमवीआर की बढ़ोतरी होती थी. लेकिन 2014 में नीतीश सरकार ने इसे बदल दिया.
सीएम नीतीश ने बड़ा बदलाव करते हुए वर्ष 2014 में आदेश निकाला कि एमवीआर में बढ़ोतरी राज्य सरकार के आदेश के बिना नहीं होगी. इसके बाद से एमवीआर में कोई बदलाव नहीं किया गया है. इस तरह बिहार में जमीन रजिस्ट्री के लिए ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में वर्ष 2013 और 2016 में लागू एमवीआर ही लागू है.