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जापान ने रखा चांद की सतह पर कदम, SLIM ने की सॉफ्ट लैंडिंग

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जापान के अंतरिक्षयान को चांद की सतह पर पहुंचने में पांच महीने का वक्त लगा है। हालांकि कि जापान के लिए इस मिशन में ये बहुत बड़ी सफलता है।

HIGHLIGHTS

  • चांद पर पहुंचने वाला पांचवां देश बना जापान
  • जापान के स्लिम ने की चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग
  • पांच महीने में चांद पर पहुंचा स्लिम

जापान चांद पर पहुंचने वाला दुनिया का पांचवां देश बन गया है. दरअसल, जापान के स्लिम (SLIM) मून मिशन चांद की सतह पर सफलतापूर्वक उतर गया है. इसी के साथ जापान दुनिया के उन पांच देशों में शामिल हो गया है. जो अब तक चांद पर अपने मिशन की सॉफ्ट लैंडिंग करा चुके हैं. जापान के अंतरिक्षयान को चांद की सतह पर पहुंचने में पांच महीने का वक्त लगा है. हालांकि कि जापान के लिए इस मिशन में ये बहुत बड़ी सफलता है. क्योंकि पिछले साल चंद्रयान-3 की लैंडिंग से एक दिन पहले ही रूस का अंतरिक्षयान चांद पर लैंडिंग करते वर्क क्रैश हो गया था.

भारत समेत ये देश कर चुके हैं चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग

बता दें कि पिछले साल ही भारत का चंद्रयान-3 चांद की सतह पर सुरक्षित उतर गया था. उसके बाद उसने वहां एक चंद्र दिवस यानी 15 दिनों तक काम किया. हालांकि अगले चंद्र दिवस में चंद्रयान-3 को एक्टिवेट करने में सफलता नहीं मिली. भारत से पहले रूस, अमेरिका और चीन भी चांद की सतह पर सफलतापूर्वक उतर चुके हैं. जापान ने चांद पर जिस अंतरिक्षयान को भेजा है उसे स्लिम नाम दिया गया है. जिसका मतलब है स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेटिंग मून मिशन है।

कहां की जापान ने चांद पर लैंडिंग

जापान की स्पेस एजेंसी JAXA के मुताबित, उसने अपने मून मिशन की लैंडिंग के लिए 600×4000 किमी का इलाका तय किया था. स्लिम ने उसी इलाके में सॉफ्ट लैंडिंग की है. ये जगह चांद के ध्रुवीय इलाके में है. सबसे बड़ी बात ये है कि अंतरिक्ष एजेंसी ने स्लिम की लैंडिंग के लिए जिस स्थान का चयन किया था वहीं सटीक लैंडिंग की गई है. जापान ने टारगेट बनाया था कि लैंडिग साइट के 100 मीटर दायरे में ही उसका स्पेसक्राफ्ट की सॉफ्ट लैंडिंग हो. जिसमें उसे सफलता मिल गई है।

शियोली क्रेटर की स्लिम ने लैंडिंग

बता दें कि जापान के मून मिशन स्लिम ने जिस स्थान पर लैंडिग की है वह स्थान शियोली क्रेटर के नाम से जाना जाता है. जा चांद पर सबसे ज्यादा अंधेरे वाला धब्बा माना जाता है. एक और संभावित लैंडिंग साइट मेयर नेक्टारिस भी है. जिसे चांद का समुद्र कहा जाता है. बता दें कि स्लिम में एडवांस्ड ऑप्टिकल और इमेज प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजी लगी है. बता दें कि जापान ने 6 सितंबर 2023 की सुबह मून मिशन तांगेशिमा स्पेस सेंटर के योशीनोबू लॉन्च कॉम्प्लेक्स से लॉन्च किया था।

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