उत्तर प्रदेश के झांसी में पत्नी ने नौकरी लगते ही पति को छोड़ दिया। पत्नी ने लेखपाल का नियुक्ति पत्र मिलते ही पति से अलग होने का फैसला सुना दिया। झांसी कलेक्ट्रेट में बने सभागार में नवनियुक्त लेखपालों को जिलाधिकारी नियुक्ति पत्र बांट रहे थे। वही सभागार के बाहर इंतजार कर रहा एक पति अपनी लेखपाल पत्नी के हाथों मे प्रमाण पत्र देखना चाहता था। लेकिन लेखपाल पत्नी अपने पति को झांसा देकर नियुक्ति प्रमाण पत्र लेकर सभागार से कब निकल गई, पति को इसकी भनक तक नहीं लगी।
परेशान पति लगा रहा गुहार
पीड़ित पति ने डीएम को प्रार्थना पत्र देकर मामले से अवगत कराया है। पति का नाम नीरज विश्वकर्मा है और उसकी पत्नी का नाम रिचा विश्वकर्मा है। नीरज ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि आज से 5 साल पहले हम लोग मिले थे और हमने 2022 में लव मैरिज की थी। मेरे पास शादी के कागजात मौजूद हैं, लेकिन अब मेरी पत्नी कहती है कि हमारी कोई शादी नहीं हुई है।
लेखपाल की नौकरी लगते ही बदले तेवर
नीरज ने बताया कि पत्नी ने लेखपाल की नौकरी लगते ही मुझसे संबंध तोड़ लिए हैं। पत्नी 18 जनवरी 2024 से मेरे साथ नहीं रह रही है। उसे लेखपाल की नौकरी का नियुक्ति पत्र 10 जुलाई को मिला है और उसकी नियुक्ति झांसी नई तहसील में है। नीरज ने बताया, पत्नी किसी प्रकार का संपर्क नहीं कर रही है। हमारा फैमिली कोर्ट में मुकदमा चल रहा है और वह तारीख पर भी नहीं आ रही है।
नीरज ने इस मामले से खुद को बहुत परेशान बताया और कहा कि मैं चाहता हूं, पत्नी घर आ जाएं और दोनों आराम से एक साथ रहें। नीरज के मुताबिक 6 फरवरी 2022 में दोनों ने कोर्ट में शादी की थी।
झांसी में ज्योति मौर्या जैसा केस
बता दें कि उत्तर प्रदेश में ऐसा ही एक केस पिछले साल काफी सुर्खियों में आया था। तब, चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी पति आलोक मौर्य ने यूपी पीसीएस अधिकारी पत्नी ज्योति मौर्य पर साथ ना रहने और उससे जान का खतरा होने के आरोप लगाए थे। आलोक का कहना था कि उसकी पत्नी के होमगार्ड कमांडेंट मनीष दुबे के साथ अवैध संबंध भी थे।
इस केस में लंबे समय तक पति-पत्नी ने एक-दूसरे के ऊपर आरोप लगाए। ज्योति ने पति पर दहेज उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज करा दिया था तो वहीं आलोक ने ज्योति पर पद के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार में लिप्त होने की बात कही थी।