न्यायालय के आदेश के 25 घंटे के अंदर गुरुवार शाम 4 बजे से ज्ञानवापी के दक्षिणी तहखाना में रखीं मूर्तियों का दर्शन-पूजन शुरू हो गया है। इससे पूर्व तहखाने में देवी-देवताओं की मूर्तियों की आरती की गई। इसके बाद आम भक्तों को तहखाने का गेट से दर्शन के लिए अनुमति दे दी गई, जो रात 10.30 बजे शयन आरती तक चलता रहा।
जिला जज की अदालत ने बुधवार शाम साढ़े तीन बजे वादी शैलेंद्र व्यास की अर्जी पर व्यासजी के तहखाने में दोबारा पूजा व राग-भोग शुरू कराने का रिसीवर (डीएम) को निर्देश दिया था। रात करीब ढाई बजे मंडलायुक्त कौशलराज शर्मा व डीएम एस. राजलिंगम की अगुवाई में ज्ञानवापी मस्जिद की बैरिकेडिंग कटवाकर विधि-विधान से पूजा शुरू करा दी गई।
सुबह मंगला आरती और फिर दिन में 10.30 बजे भोग आरती सम्पन्न होने के बाद मंडलायुक्त ने आम भक्तों के दर्शन की भी अनुमति दे दी। तहखाने के बाहर से दर्शन करने वालों की कतार लग गई। सर्वे के दौरान तहखाने से मिलीं मूर्तियां दोबारा रखवाकर पूजन शुरू कराया गया है। एएसआई सर्वे के दौरान तहखाने से मिलीं मूर्तियां दोबारा रखवाकर प्रशासन ने पूजन शुरू कराया है। सर्वे में कुल 55 मूर्तियां मिली थीं।
प्राण-प्रतिष्ठित प्रतिमा जीवित बच्चे जैसी, इसलिए 11 घंटे में पूजा शुरू
वाराणसी। न्यायालय के आदेश के 11 घंटे के अंदर ज्ञानवापी के व्यासजी तहखाना में पूजा व राग-भोग शुरू हो जाना भले आश्चर्य जैसा लगा, लेकिन मंदिर प्रशासन ने इसके पक्ष में न्यायिक तर्क दिए हैं। काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के नवनियुक्त मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्वभूषण मिश्रा ने कहा कि प्राण-प्रतिष्ठित मूर्ति जीवित बच्चे के समान होती है। कोर्ट ने यदि पूजा का आदेश दे दिया तो प्रशासन की जिम्मेदारी है कि उसका जितना जल्दी हो पालन किया जाए। कहा कि न्यायालय के आदेश के क्रियान्वयन में देरी न्यायिक व धार्मिक दोनों तरह से ठीक नहीं थे। इससे पहले, कोर्ट के आदेश पर व्यासजी तहखाना में बुधवार की देर रात दर्शन-पूजन से पूर्व वादी शैलेंद्र कुमार पाठक ने पूजा करने का अधिकार विश्वनाथ मंदिर प्रशासन को सौंप दिया है।