झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को अंतरिम जमानत नहीं

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धन शोधन के मामले में जेल में बंद झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरन लोकसभा चुनाव प्रचार में भाग नहीं ले सकेंगे। शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा नेता सोरेन को राहत देने से इनकार करते हुए उन्हें चुनाव प्रचार करने के लिए अंतरिम जमानत पर रिहा करने की मांग को ठुकरा दिया।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने पूर्व मुख्यमंत्री की उस याचिका का निरर्थक बताते हुए निपटारा कर दिया, जिसमें कहा गया था कि गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर रांची उच्च न्यायालय फैसला नहीं सुना रहा है। इस याचिका में सोरेन ने उच्च न्यायालय को गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर फैसला देने और जब तक उच्च न्यायालय के फैसला नहीं आ जाता है, तब तक लोकसभा चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत पर रिहा करने की मांग की थी।

शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिका निरर्थक हो गई है क्योंकि उच्च न्यायालय ने तीन मई को अपना फैसला सुना दिया है। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने शीर्ष अदालत से यह आग्रह किया इस याचिका को निरर्थक नहीं माना जाए, अन्यथा ईडी नई याचिका में जवाब दाखिल करने के लिए और समय मांगेगा। जस्टिस खन्ना ने कहा कि सारी दलीलें आप उच्च न्यायालय के तीन मई के फैसले को चुनौती देने वाली अपील पर दीजिएगा।

पूर्व मुख्यमंत्री सोरेन ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर शीर्ष अदालत से अंतरिम जमानत की मांग की थी ताकि वह प्रचार अभियान में शामिल हो सके। सोरेन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने झारखंड उच्च न्यायालय के फैसला सुनाने में देरी के आधार पर शीर्ष अदालत ने सोरेन को लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश देने की मांग की थी।

गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पहले ही खारिज सोरेन की अंतरिम जमानत की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने 29 अप्रैल को ईडी को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा है। अदालत ने छह मई तक जवाब दाखिल करने का आदेश दिया था और कहा था कि इस बीच उच्च न्यायालय फैसला सुना सकता है। हाईकोर्ट ने तीन मई को फैसला देते हुए सोरेन की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने धन शोधन के मामले में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी थी।

याचिका निरर्थक करार दी

वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पीठ से कहा, उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली उनके मुवक्किल (सोरेन) की विशेष अनुमति याचिका 13 मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध हो रही है। उन्होंने पीठ से दोनों याचिकाओं पर 13 मई को एक साथ सुनवाई करने का आग्रह किया। दलील को ठुकराते हुए पीठ ने कहा कि याचिका निरर्थक हो गई है, अब आप उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दाखिल याचिका पर सभी दलील उठा सकते हैं जो 13 मई को सुनी जाएगी।

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