झारखंड विधानसभा से भाजपा के 18 विधायक किए गए निलंबित, सदन में हंगामा करना पड़ा महंगा

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झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान गुरुवार को  भाजपा के 18 सदस्यों को 2 अगस्त अपराह्न 2:00 बजे तक के लिए सदन की कार्यवाही से निलंबित कर दिया गया. सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी सदस्यों का जबरदस्त हंगामा देखने को मिला। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष रबींद्र नाथ महतो ने भाजपा के 18 सदस्यों पर सदन से निलंबित कर दिया. इसे लेकर और ज्यादा हंगामा होने लगा. जिन विधायकों को निलंबित किया गया, उनमें विरंची नारायण, अनंत ओझा, रणधीर सिंह, नारायण दास, केदार हाजरा, किशुन दास, सीपी सिंह, नवीव जायसवाल, अमित मंडल, कोचे मुंडा, भानु प्रताप शाही, शशिभूषण मेहता, अलोक चौरसिया, पुष्पा देवी, नीरा यादव, अपर्णा सेनगुप्ता, राज सिन्हा और समरी लाल शामिल हैं।

इससे पहले आज पूर्वाहन 11:00 बजे सदन की कार्यवाही शुरू होने के साथ ही झारखंड मुक्ति मोर्चा के सुदिव्य कुमार सोनू ने भाजपा विधायकों के रवैए पर नाराजगी जाहिर करते हुए विधानसभा अध्यक्ष से कार्रवाई की मांग की गई। उन्होंने कहा कि संसदीय परंपरा की विरुद्ध जिस तरह से भाजपा विधायक को की ओर से आचरण किया गया है वह निंदनीय है और विधानसभा अध्यक्ष को विधानसभा कार्य संचालन नियमावली के अनुसार इन सभी के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।

दूसरी तरफ बीजेपी विधायक वेल में आकर नारेबाजी करने लगे। इससे नाराज विधानसभा अध्यक्ष ने भाजपा के अनंत ओझा, विरंची नारायण और सीपी सिंह समेत 18 सदस्यों को कल अपराहन 2:00 बजे दिन तक के लिए तक के लिए निलंबित कर दिया। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि मामले की जांच सदन की सदाचार समिति करेगी। इसके साथ ही विधानसभा अध्यक्ष ने आज सदन की कार्यवाही को दोपहर 12:30 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

विधानसभा से निलंबित होने के बाद बाहर में पत्रकारों से बातचीत में नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी ने कहा कि भाजपा विधायकों की ओर से किसी भी तरह का कोई गलत आचरण नहीं किया गया इसके बावजूद तानाशाही रवैया बनाते हुए सभी को निलंबित किया गया है। उन्होंने कहा कि मीडिया पर भी अंकुश लगाने की कोशिश की गई। श्री बाउरी ने कहा कि जिस तरह से आज कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा के इशारे पर विधानसभा अध्यक्ष की ओर से कार्रवाई की गई है ,वह आपातकाल का याद दिलाता है। उन्होंने कहा कि भाजपा विधायक सिर्फ युवाओं को रोजगार और अन्य ज्वलंत मुद्दों पर की ओर ध्यान दिलाते हुए मुख्यमंत्री से जवाब देने की मांग कर रहे थे ।

उन्होंने कहा कि असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा को भी पाकुड़ में रोकने की कोशिश की गई । यह सारी घटनाएं यह बताती है कि कांग्रेस राज्य मैं फिर से एक बार इमरजेंसी थोपना चाहती है ।उन्होंने कहा कि यदि उनकी सदस्यता भी चली जाती हैं तब भी वे जनमुद्दों को उठाते रहेंगे और आने वाले चुनाव में कांग्रेस झामुमो का पूरी तरह से सफाया होगा।