भागलपुर कृषि को विकसित करने के लिए कृषि विश्वविद्यालय, कृषि विभाग व सरकार सभी लगे हुए हैं. ऐसे में कृषि के नए नए तकनीक को अपनाया जाता है. कृषि के नए तकनीक से किसानो को लाभ भी पहुंचता है. ऐसे में कृषि में कम मेहनत कर अच्छा मुनाफा भी किसान कमा सकते हैं. तकनीक आ जाने से कम मेहनत भी लगता है.
नए तकनीक को लगा कर रहे हैं कृषि
भागलपुर का एक किसान अपने खेतों में प्रयोग करते रहते हैं. इतना ही नहीं किसानों को भी इसके लाभ व हानि के बारे में बताते हैं. ऐसे में ही कजरैली के किसान गूँजेश गुंजन ने नए तकनीक से खीरा की खेती की है. गूँजेश ने खीरा की खेती करने के लिए लाइट ट्रैप व स्टिकी ट्रेप का उपयोग किया है. इसके उपयोग से फ़सलो में कीटनाशक की आवश्यकता नहीं पड़ती है. जिससे जैविक उत्पाद अच्छे तरीके से मिल जाता है. इसमें मेहनत भी अधिक नहीं लगता है. किसानों के खेतों में कीड़े भी नहीं लगते हैं. ऐसे में अच्छा फसल भी मिल जाता है.
क्या है लाइट ट्रेप व स्टिकी ट्रेप
जब लाइट ट्रेप व स्टिकी ट्रेप को लेकर किसान गूँजेश गुजन से बात की गई तो उन्होंने बताया कि लाइट ट्रैप एक ऐसा यंत्र है जिसमें सोलर लाइट, बैटरी, बल्ब व एक प्लास्टिक का डलिया लगा होता है. सोलर के माध्यम से दिन में चार्ज होता है और रात को उसमें ब्लू बल्ब जलने लगता है. जिससे कीड़ा लाइट को देखकर वहां पहुंच जाता है. लाइट के ठीक नीचे लगे डाला में पानी डालकर व उसमें कीटनाशक डाल दिया जाता है. जिससे वो पानी मे गिरकर खत्म हो जाता है. इससे कम मेहनत में जैविक खेती हो जाती है. वहीं स्टिकी ट्रेप की बात करे तो इसमें एक स्टिक के माध्यम से पिला रंग का बोर्ड लगा होता है इसमें चिपचिपा पदार्थ लगा होता है. पिला रंग को देख कीड़ा अत्यधिक उस ओर जाता है ऐसे में जैसे ही उसपर कीड़ा बैठता है चिपक जाता है. इससे भी किट कंट्रोल हो जाता है. इस दोनो तकनीक के माध्यम से जैविक कृषि करना आसान हो गया है.
कैसे इसको ले सकते हैं
कृषि विभाग में पौधा संरक्षण विभाग के अधिकारी जब सुजीत पाल से बात की गई तो उन्होंने बताया कि यह यंत्र काफी सहयोगी है. इस यंत्र को पौधा संरक्षण विभाग के माध्यम से ले सकते हैं. किसानों को बिना मेहनत किए अच्छी फसल मिल सकती है. उन्होंने बताया कि इसके लिए कृषि पंजीयन, आधार कार्ड व जमीन के रशीद की आवश्यकता पड़ेगी. कम कीमत में यह यंत्र उपलब्ध हो जाता है.