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तीन नए आपराधिक कानूनों पर पीआइबी द्वारा मीडिया कार्यशाला “वार्तालाप” का हुआ आयोजन 

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  • इस नये कानूनों को लेकर बिहार पुलिस प्रशासन ने अपनी पहल शुरू कर दी है – बी. श्रीनिवासन
  • इस ऐतिहासिक कानून के बनने के साथ ही भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में एक नए युग की शुरुआत होगी- प्रो.(डॉ) फैजान मुस्तफा
  • नए आपराधिक कानून दंड-केंद्रित नहीं, न्याय केंद्रित- पी. कन्नन
  • महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध पर है खास फोकस – डॉ प्रज्ञा पालीवाल गौड़ 

 

पटना : 24-06-2024

प्रेस इन्फोर्मेशन ब्यूरो, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार, पटना द्वारा सोमवार (24 जून 2024) को कर्पूरी ठाकुर सदन पटना में तीन नए आपराधिक कानूनों – भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 को लेकर मीडिया कार्यशाला “वार्तालाप का आयोजन किया गया ।

इस कार्यशाला का उद्घाटन बी. श्रीनिवासन, आईपीएस, निदेशक, पुलिस अकादमी, राजगीर, प्रो.(डॉ) फैजान मुस्तफा, कुलपति, चाणक्य राष्ट्रीय विधि विशाविद्यालय पटना, पी. कन्नन, पुलिस महानिरीक्षक, सीआइडी, पटना, डॉ प्रज्ञा पालीवाल गौड़, महानिदेशक, पीआईबी, नई दिल्ली और एस.के. मालवीय अपर महानिदेशक पीआईबी, पटना ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलन कर किया। मौके पर पीआईबी-सीबीसी के उपनिदेशक संजय कुमार मौजूद रहें।

कार्याशाला को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि बी.श्रीनिवासन, आईपीएस, निदेशक, बिहार पुलिस अकादमी, राजगीर ने कहा कि तीन नए आपराधिक कानूनों के लागू होने के बाद एफआईआर से लेकर अदालत के निर्णय तक की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन हो जाएगी और भारत अपनी आपराधिक न्याय प्रणाली में आधुनिक तकनीक का सबसे अधिक इस्तेमाल करने वाला देश बन जाएगा। उन्होंने कहा कि नए आपराधिक कानूनों से देश में एक ऐसी न्यायिक प्रणाली स्थापित होगी जिसके जरिए तीन वर्षों के भीतर न्याय मिल सकेगा। उन्होंने कहा कि इस नये कानूनों के लेकर बिहार पुलिस प्रशासन ने अपनी पहल शुरू कर दी है। इस सिलसिले में 26 हजार से अधिक एसआई से लेकर डीएसपी रैक तक के अधिकारियों को हाईब्रीड मोड में प्रशिक्षण दिया गया है। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण देने का मकसद साफ है कि नये आपराधिक कानूनों की जानकारी पुलिसकर्मियों को सही-सही हो व उसका अनुपालन हो ताकि जनता को किसी भी तरह की परेशानी न हो सके।

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वहीं, प्रो.(डॉ) फैजान मुस्तफा, कुलपति, चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय पटना, ने अपने संबोधन में कहा कि इस ऐतिहासिक कानून के बनने के साथ ही भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में एक नए युग की शुरुआत हुई है। पुराने कानून हत्या और महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में कार्रवाई को प्राथमिकता देने की बजाय ब्रिटिश राज्य की सुरक्षा को प्राथमिकता देते थे। उन्होंने कहा कि तीन नए प्रमुख कानूनों का मकसद सजा देने की बजाय न्याय देना है। इन तीन कानूनों से पहली बार हमारी आपराधिक न्यायिक प्रणाली भारत द्वारा, भारत के लिए और भारतीय संसद द्वारा बनाए गए कानूनों से चलेगी। उन्होंने कहा कि इस कानून को लेकर बिहार सरकार ने जो तैयारी की है वह ऐतिहासिक व सराहनीय है। प्रो. फैजान ने कहा कि जब नये कानूनों में बदलाव हो रहा है तब और नयी चीजों को जोड़ने की जरूरत थी। उन्होंने मीडियाकर्मियों से आग्रह किया कि मीडिया ट्रायल से बचें, इससे कानूनी व्यवधान पड़ता है। नये आपराधिक कानूनों में कई प्रावधान किए गयें हैं जो स्वागत योग्य हैं, इससे मानवीय पक्ष सामने आएगा।

 

वार्तालाप को संबोधित करते हुए पी. कन्नन, पुलिस महानिरीक्षक, सीआइडी, पटना ने नए आपराधिक कानूनों का परिचय देते हुए भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 के प्रमुख बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि नए आपराधिक कानूनों से समय पर न्याय मिलेगा। इलेक्ट्रॉनिक तरीके से शिकायत दायर करने के तीन दिन के भीतर FIR दर्ज करने का प्रावधान किया गया है। साथ ही यौन उत्पीड़न के मामलों में सात दिन के भीतर जांच रिपोर्ट देनी होगी। पहली सुनवाई के 60 दिनों के भीतर आरोप तय करने का प्रावधान किया है। भगोड़े अपराधियों की गैर-मौजूदगी के मामलों में 90 दिनों के भीतर केस दायर करने का प्रावधान है। आपराधिक मामलों में सुनवाई पूरी होने के 45 दिनों के भीतर फैसला होगा । उन्होंने कहा कि नए आपराधिक कानून दंड-केंद्रित नहीं, न्याय केंद्रित है। महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध पर खास फोकस किया गया है ।

डॉ प्रज्ञा पालीवाल गौड़, महानिदेशक, पीआईबी, नई दिल्ली ने विशेष प्रवेश के दौरान कहा कि नये आपराधिक कानून का उद्देश्य पीड़ितों को न्याय दिलाना है। ऐसे में जरुरी है कि जो कानूनी बदलाव हुए हैं उसकी जानकारी जनता को हो। इसी मकसद को लेकर मीडियकर्मियों के साथ वार्तालाप का कार्यक्रम किया गया है। उन्होनें कहा कि 150 साल के कानून में जो नये बदलाव हुए हैं उसे जन जन तक पहुँचाने में मीडिया की भुमिका अहम है। इस कानून का मुख्य उद्देश्य अपराधी को दण्ड देने के साथ-साथ पीड़ित को न्याय दिलाना है। इस कानून में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हो रहे अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए विशेष और त्वरित प्रावधान किए गए है।

वहीं, प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो, पटना के अपर महानिदेशक एस.के. मालवीय ने अतिथियों और मीडियाकर्मियों का स्वागत करते हुए कहा कि तीन नए आपराधिक कानूनों को संसद द्वारा पारित किया गया है जो 01 जुलाई, 2024 से लागू हो जाएगा। मीडिया कार्याशाला का मुख्य उद्देश्य मीडियाकर्मियों को आपराधिक कानूनों से अवगत कराना है। उन्होंने पत्रकारों से अनुरोध भी किया कि वे इस नये कानून के बारें में आम लोगों तक इसकी जानकारी पहुचाएं ताकि इसका उद्देश्य पूर्ण हो सकें।

वार्तालाप का संचालन संजय कुमार, उपनिदेशक ने किया। वार्तालाप में पटना सहित राज्य भर से संपादक,मीडिया प्रमुख,ब्यूरो प्रमुख और वरिष्ठ संवाददाता मौजूद रहे।


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Kumar Aditya

Anything which intefares with my social life is no. More than ten years experience in web news blogging.

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