तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी के ‘बिहारियों का DNA है खराब’ वाले बयान पर प्रशांत किशोर की दो टूक, कहा-बिहारियों की बुद्धिमत्ता के लिए रेवंत रेड्डी के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं उनके आका के जो आका होंगे, वो भी बिहार के लड़के यानी हमसे ही लेते रहे हैं सलाह
पटना: तेलंगाना के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता रेवंत रेड्डी के ‘बिहारियों का DNA’ खराब होने वाले बयान पर जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने दो टूक कहा कि अगर हम लोग अपने बच्चों को यहीं पढ़ा पाते, यहीं रोजगार मिलता तो कोई रेवंत रेड्डी कि कहां हिम्मत होती कि वो यहां आकर कुछ कर पाए। जहां तक बात रेवंत रेड्डी के बयान की है या बिहार के लोगों की बुद्धमिता का सवाल है तो रेवंत रेड्डी के सर्टिफिकेट की कोई जरूरत नहीं है। उनके आका के जो आका होंगे, वो बिहार के लड़के यानी हमसे ही सलाह लेते रहे हैं। बात बिहार के विद्वता की नहीं है। हम लोगों के ज्यादातर बच्चे जो हैं पढ़ाई के अभाव में, रोजगार के अभाव में उन जगहों पर जाकर मजबूरी में काम कर रहे हैं। इसीलिए वहां के लोग इसी तरह के बयान दे रहे हैं। ये तब तक नहीं रुकेगा, जब तक कि बिहार में व्यवस्था को सुधारा न जाय। आप रेवंत रेड्डी को मना कीजिएगा, कोई तमिलनाडु में कह देगा, कोई पंजाब में कह देगा। मीडिया में तो जब बड़े नेता कहते हैं, तब ये बात आती है। जमीन पर तो जब आप बिहार से बाहर गए होंगे, तो वो तो हर जगह लोग कहते हैं। आप कहीं पर काम कर रहे हैं, तो भी लोग बिहारी कहते हैं। रेलवे स्टेशन पर जाएंगे तो वहां भी आपको गाली सुनने को मिलती है। सबसे दिक्कत और दुखी की बात ये है कि इतनी गाली सुनने के बाद भी, बेइज्जत होने के बाद भी बिहार के लोग सुधरने के लिए तैयार नहीं हैं।
जब तक हम दूसरे राज्यों में काम करने जाते रहेंगे बिहारी समझ कर लोग हम पर हंसते रहेंगे, ऐसा बयान पूरी तरह से गलत है और नहीं देना चाहिए: प्रशांत किशोर
दरभंगा के हयाघाट प्रखंड में पत्रकारों से बातचीत के दौरान प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि देखिए, जब आपकी और हमारी ये दुर्दशा है कि हमारे बच्चों को मजबूरी में बाहर नौकरी करनी पड़ती है, मजदूरी करनी होती है और धक्का खाना पड़ता है, तो जहां आप जाएंगे तो वहां के लोग तो आपकी इज्जत नहीं करेंगे। उन्होंने क्या कहा या कल किसी डीएमके के सांसद ने उत्तर भारतीयों के लिए कुछ कह दिया, ये बात तो पूरी तरह से गलत है और ऐसा नहीं कहना चाहिए। लेकिन अगर आप गरीब हैं, तो समाज तो आपको धनी नहीं तो बताएगा। अगर आप अनपढ़ हैं, तो आपको कोई विद्वान नहीं कहेगा। ये सही बात है कि अगर कोई पढ़ा-लिखा नहीं है तो उसे मूर्ख कहना गलत बात है। हमारे आपके भाई-बंधु या बच्चे वहां जाकर मजदूरी कर रहे हैं, तो वहां के लोग तो हम पर हंसेगे ही। उन्होंने जो बयान दिया है उसकी पूरी तरह से निंदा करनी चाहिए। लेकिन साथ-साथ में हमें और आपको अपना भी अवलोकन करना चाहिए।