स्पीडी ट्रायल में तैनात पटना पुलिस के दारोगा रश्मि रंजन ने सर्विस पिस्टल से खुद को गोली मार ली। घटना बुधवार की सुबह साढ़े आठ बजे एयरपोर्ट थानांतर्गत नेहरू पथ फ्लाईओवर के पाया नंबर 70 के पास स्थित क्लासिकॉन बीएस अपार्टमेंट के बी ब्लॉक के फ्लैट संख्या 202 में हुई। 2009 बैच के दारोगा रश्मि रंजन मूल रूप से औरंगाबाद के श्रीनगर अहरी के रहने वाले हैं। वे सिगोड़ी समेत अन्य जगहों के थानेदार भी रह चुके हैं।
इधर, दारोगा को गोली लगने की घटना के बाद आनन-फानन में उन्हें नेहरू पथ स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया। कनपटी में गोली लगने के बाद उनकी हालत नाजुक बनी हुई है। गोली कनपटी के आर-पार हो गई है। डीआईजी सह एसएसपी राजीव मिश्रा सहित पटना पुलिस के अन्य अधिकारियों ने अस्पताल पहुंचकर पूरे मामले की जानकारी ली। एयरपोर्ट पुलिस ने रश्मि रंजन की सरकारी पिस्टल व गोलियों को जब्त कर लिया है।
बाथरूम में घुसते ही मारी गोली सुबह के साढ़े आठ बजे दारोगा बाथरूम में घुसे। उस वक्त उनकी पत्नी, दो साल का बेटा व साढ़ू मौजूद थे। दारोगा ने बाथरूम में घुसते ही अपने सर्विस पिस्टल से कनपटी में गोली मार ली। गोली आवाज सुनते ही उनकी पत्नी और साढ़ू बाथरूम की ओर दौड़े तो खून से लथ-पथ दारोगा को जमीन पर गिरा देखा। परिजनों ने दारोगा को ओला से अस्पताल पहुंचाया।
15 दिनों से तनाव में थे
प्रथम दृष्टया हुई जांच में यह बात सामने आई है कि दारोगा 10 से 15 दिनों से तनाव में थे। पटना पुलिस के मुताबिक औरंगाबाद में ही एक हत्या के मामले में उन पर केस चल रहा था। इस कारण वे तनाव में रहते थे।
सुबह के वक्त दारोगा रश्मि रंजन के घर में सबकुछ ठीक-ठाक था। उनके एक संबंधी बीएसएपी ( बिहार विशेष सशस्त्रत्त् पुलिस) में कार्यरत हैं। वे भी दारोगा के साथ ही रहते हैं। सुबह के समय दोनों ने एक साथ चाय भी पी।
इस बीच दारोगा के संबंधी कुछ काम से बीएसएपी गये। इस बीच रश्मि रंजन ने अपना एटीएम कार्ड निकाला और पत्नी को उसका पिन नंबर बताने लगे। फिर उन्होंने सारे कार्ड को टेबल पर रख दिया। खाना खाने की बात भी कही। दारोगा नहाने की बात कहकर बाथरूम में घुसे ही थे कि एक तेज आवाज आई। उसी वक्त उनके बीएसएपी में कार्यरत संबंधी घर में घुसे। गोली की आवाज आते ही सभी बाथरूम की ओर गये तो दारोगा को घायल अवस्था में देखा।
मंगलवार को इलाज करवाने न्यूरो अस्पताल गये थे दारोगा पिछले कुछ दिनों से काफी परेशान चल रहे थे। परेशानी एक नहीं बल्कि कई थी। मानसिक दबाव इस कदर उन पर हावी था कि कई दिनों से उन्हें नींद भी नहीं आ रही थी। दारोगा जुड़वा बेटों के पिता हैं। घटना के वक्त उनका एक बेटा औरंगाबाद में ही था।
अस्पताल में जुटे साथी
दारोगा के खुद को गोली मार देने की जानकारी जैसे ही पुलिस महकमे को मिली, उनके बैचमेट अस्पताल पहुंचने लगे। शांत व हंसमुख स्वभाव के दारोगा रश्मि के बैचमेट इस घटना पर अफसोस जता रहे थे। औरंगाबाद में चल रहे केस को लेकर इस बार दारोगा का प्रमोशन नहीं हो सका था।