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दिल्ली कूच को देखते हुए बॉर्डर इलाकों पर धारा 144 लागू, क्या होते हैं इसके मायने, जानें सबकुछ

दिल्ली कूच के चलते सभी बॅार्डर सील किये गये हैं।दिल्ली के चारों ओर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है।ताकि कोई भी किसान दिल्ली में एंट्री न कर पाए।

मुख्य तथ्य

  • दिल्ली के सभी बॅार्डर को किया गया छावनी में तब्दील
  • उत्तर प्रदेश और बाकी जगहों पर भी लगाई गई धारा 144
  • उलंघन करने पर आम आदमी के जीवन पड़ते हैं ये प्रभाव

दिल्ली कूच के चलते सभी बॅार्डर सील किये गये हैं. दिल्ली के चारों ओर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है. ताकि कोई भी किसान दिल्ली में एंट्री न कर पाए. साथ ही बार्डर इलाकों में धारा 144 भी लागू की गई है. लेकिन आज भी बहुत से लोगों में धारा 144 को लेकर कई कंफ्यूजन हैं. इस आर्टिकल में इन्हीं कंफ्यूजन को दूर करने की कोशिश की जा रही है. आखिर धारा 144 लगने पर क्या-क्या नहीं करना चाहिए. साथ ही उलंघन करने पर क्या दुष्प्रभाव आमजन के जीवन पर पड़ सकते हैं. आइये जानते हैं एक्सपर्ट के माध्यम से क्या हैं इसके मायनें?

आखिर क्या है धारा-144 मायने
दरअसल, धारा 144 इंडियन पीनल कोर्ट की मुख्य धाराओं में से एक है. भीड़ और अराजक स्थिति से निपटने के लिए पुलिस प्रशासन इस धारा का उपयोग करता है.  जिस शहर या स्थान पर धारा 144 लगी होती है, वहां पर एक साथ 4 या उससे ज्यादा लोग एकत्र नहीं हो सकते. साथ  ही इन इलाकों में कोई भी हथियार बाहर नहीं निकालता है. भले ही हथियार लाइसेंसी ही क्यों न हो. जानकारी के मुताबिक धारा 144 को अधिकतम 2 माह के लिए लगाया जा सकता है. हालांकि राज्य सरकार के विवेक पर निर्भर करता है. विकट परिस्थितियों में इसे एक्सटेंड भी किया जा सकता है।

क्या है सजा का प्रावधान
अब बात धारा के सबसे अहम पार्ट की. यदि धारा 144 लगे होने के चलते भी कोई इसका उलंघन करता है. यानि किसी आन्दोलन का हिस्सा बनता है, या सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाता है तो उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किये जाने का प्रावधान है. जिसमें पुलिस  आपको तत्काल प्रभाव से गिरफ्तार कर सकती है. यही नहीं आपको 2 साल तक सजा का भी इसमें प्रावधान है. आपके कोर्ट का मजिस्ट्रेट आप पर जुर्माना भी लगा सकता है. हालांकि ये एक जमानती अपराध है और इसमें अक्सर कोर्ट की तरफ से आरोपी को जमानत दे दी जाती है. साथ  ही इसे गंभीर अपराध की श्रेणी से बाहर रखा गया है।


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