सुप्रीम कोर्ट दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर आज सुनवाई करेगा। सीएम केजरीवाल ने याचिका में आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं के मामले में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी है। इस मामले में वह सीबीआई की जांच के दायरे में हैं।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ सीएम केजरीवाल की दो याचिकाओं पर सुनवाई करेगी, जिसमें उनकी गिरफ्तारी की पुष्टि करने और जमानत देने से इनकार करने के दिल्ली हाईकोर्ट के 5 अगस्त के फैसले को अलग-अलग चुनौती दी गई है।
दिल्ली शराब नीति घोटाला मामले में मनीष सिसोदिया को जमानत मिलने के बाद आम आदमी पार्टी ये उम्मीद कर रही है कि जल्द ही केजरीवाल को भी जमानत मिल जाएगी।
बता दें कि सोमवार को जब सीएम केजरीवाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने इसे तत्काल सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया, तो सुप्रीम कोर्ट उनकी याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गई थी।
केजरीवाल ने सोमवार को दायर याचिकाओं में दिल्ली हाई कोर्ट के 5 अगस्त के फैसले पर सवाल उठाए, जिसमें कहा गया था कि उनकी गिरफ्तारी न तो अवैध थी और न ही बिना किसी उचित आधार पर थी, क्योंकि सीबीआई ने उनकी हिरासत और रिमांड को सही ठहराने के लिए पर्याप्त सबूत पेश किए थे।
केजरीवाल की याचिका सिसोदिया मामले पर काफी हद तक आधारित थी, इसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पूर्व उपमुख्यमंत्री की 17 महीने की लंबी कैद और ऐसे मामले में उनकी लगातार हिरासत, संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत स्वतंत्रता और त्वरित सुनवाई के उनके मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।
आम आदमी पार्टी के प्रमुख की याचिका में तर्क दिया गया है कि जिन आधारों पर अदालत ने सिसोदिया को जमानत पर रिहा करना उचित समझा है, ये बात उन पर भी समान रूप से लागू होने चाहिए।
केजरीवाल की याचिका में सिसोदिया मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों पर जोर दिया गया है। इसमें कहा गया कि बिना मुकदमे के लंबे समय तक कैद में रखना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो सकता है। खासकर तब, जब जांच काफी हद तक पूरी हो चुकी हो।
केजरीवाल ने अपनी याचिका के माध्यम से तर्क दिया कि वे सिसोदिया की तरह ही इन मानदंडों को पूरा करते हैं और इसलिए उन्हें इसी आधार पर जमानत दी जानी चाहिए।
ज्ञात हो कि केजरीवाल को 21 मार्च को ईडी ने गिरफ्तार किया था। हालांकि, मई में लोकसभा चुनाव के प्रचार के लिए सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 21 दिन की अंतरिम जमानत दी थी।