देश में नई कंपनियों और एलएलपी (लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप) की संख्या चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीने में 5 प्रतिशत बढ़कर 91,578 हो गई है, पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह आंकड़ा 87,379 पर था। कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा यह जानकारी दी गई है।
एक वरिष्ठ अधिकारी की ओर से बताया गया है कि चालू वित्त वर्ष में कंपनियों की संख्या में बढ़ोतरी देश में कारोबारी माहौल में सुधार को दर्शाती है। पूरे वित्त वर्ष 2023-24 में नई कंपनियों की संख्या में 15 प्रतिशत की बढ़त हुई थी। मार्च 2024 तक भारत में 26,63,016 कंपनियां पंजीकृत हैं।
आंकड़ों के मुताबिक, भारत में कुल 5,164 विदेशी कंपनियां पंजीकृत हैं, जो दिखाता है कि देश में तेजी से विदेशी निवेश बढ़ रहा है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में अब तक 10.17 लाख डीआईआर-3 केवाईसी फॉर्म जमा हुए हैं, जिनकी संख्या 2023-24 में 7.98 लाख थी। मौजूदा समय में कंपनियों के प्रत्येक डायरेक्टर को वित्त वर्ष के अंत में या पहले डायरेक्टर आइडेंटिफिकेशन नंबर (डीआईएन) दिए जाते हैं। डीआईएन नंबर अप्रूव होने बाद हर डायरेक्टर को डीआईआर-4 केवाईसी फॉर्म जमा करना होता है।
अधिकारियों का कहना है कि आने वाले समय में इस आंकड़े में और इजाफा देखने को मिल सकता है, क्योंकि बजट 2024-25 में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) के लिए नई स्कीमों के ऐलान के कारण नई कंपनियों की संख्या में बढ़ोतरी हो सकती है।
बजट में वित्त मंत्री की ओर से एमएसएमई को मशीनरी और नए उपकरण खरीदने के लिए बिना गारंटी का टर्म लोन उपलब्ध कराने के लिए स्कीम लाने का ऐलान किया गया है। इसमें 100 करोड़ रुपये तक की गारंटी सरकार उपलब्ध कराएगी।
उन्होंने आगे भी कहा कि सरकार द्वारा नियोक्ताओं को प्रत्येक अतिरिक्त नए कर्मचारी के लिए दो साल तक ईपीएफओ योगदान का 3,000 रुपये प्रतिमाह तक की राशि दी जाएगी। सरकार के इस नई पहल का लक्ष्य 50 लाख लोगों को अतिरिक्त रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना है।