देह व्यापार से इन्कार करने पर युवती की हत्या करने के मामले में वांछित मुख्य आरोपित वीरेंद्र सिंह को क्राइम ब्रांच ने सालों तक जांच पड़ताल के बाद गिरफ्तार कर लिया।
हत्या के बाद 22 वर्षीय युवती के शव को संदूक में डालकर आराेपित घर के दरवाजे में बाहर से ताला लगा फरार हो गया था। घटना 2007 की है तब से यानी 16 साल से आरोपित फरार था। वारदात के कुछ दिन बाद घर के अंदर से तेज बदबू आने पर कालकाजी थाना पुलिस ने घर का ताला तोड़ संदूक से युवती का सड़ा गला शव बरामद किया था।
आधार कार्ड पर लगी फोटो से हुई गिरफ्तारी
सालों तक पुलिस आरोपित को ढूंढने का प्रयास करती रही, लेकिन उसका कोई अता पता नहीं चला। अंतत: 2007 में किरायेदार सत्यापन फार्म पर आरोपित द्वारा चिपकाए गए फोटो के आधार कार्ड पर उसका पता लगा दबोच लिया गया।
वर्ष 2007 की है घटना
डीसीपी क्राइम ब्रांच के मुताबिक वीरेंद्र सिंह, वैशाली, बिहार का रहने वाला है। कालकाजी थाने में दर्ज हत्या व अन्य कई मामले में इसे भगोड़ा घोषित कर दिया गया था। इस मामले का शिकायतकर्ता पेशे से प्रापर्टी डीलर है वह कमीशन के आधार पर मकान किराये पर देने का काम भी करता है।
16 साल से फरार था आरोपी
दो जून 2007 को वीरेंद्र सिंह ने किराए के घर के लिए शिकायतकर्ता से संपर्क किया था। जिसपर उन्होंने वीरेंद्र सिंह तीन हजार एडवांस लेकर घर दिलवा दिया था। वीरेंद्र सिंह युवती के साथ अगले ही दिन घर में शिफ्ट कर गया था। वीरेंद्र ने शिकायतकर्ता को आश्वासन दिया कि वह शेष पैसे अगले दिन दे देगा।
घर से आ रही थी दुर्गंध
अगले दिन जब शिकायतकर्ता ने शेष राशि के लिए वीरेंद्र सिंह से संपर्क किया तो उसने यह कहकर टाल दिया कि वह दो तीन दिन के लिए दिल्ली से बाहर है। इसी बीच यह हादसा हो गया। सात जून 2007 को शिकायतकर्ता जब वीरेंद्र सिंह के आवास पर गए तो वहां ताला लगा हुआ था और अंदर से दुर्गंध आ रही थी।
उन्होंने तुरंत पुलिस को सूचना दे दी। दरवाजा खोलने के बाद घर में एक बड़ा ट्रंक मिला जिसमें युवती का शव था। कालकाजी पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच के बाद शंकर घोष को गिरफ्तार कर लिया। वीरेंद्र सिंह फरार था। मामला दर्ज होने के समय एएसआइ रमेश की तैनाती कालकाजी थाने में थी वह उस दौरान उक्त क्षेत्र के बीट अधिकारी थे, जहां हत्या हुई थी।
उन्होंने वीरेंद्र सिंह का पता लगाने के लिए बहुत प्रयास किए, लेकिन सफलता नहीं मिला क्योंकि वह बार-बार स्थान बदल रहा था। कुछ समय बाद एएसआइ रमेश का वहां से तबादला हो गया और 2017 में उन्हें फिर से कालकाजी में तैनात किया गया। उन्होंने पता किया तो वीरेंद्र सिंह को फरार ही पाया गया।
हरियाणा के पानीपत में छिप गया था वीरेंद्र सिंह
इस पर उन्होंने फिर से अन्य व्यक्तियों के माध्यम से वीरेंद्र सिंह के बारे में जानकारी जुटाना शुरू कर दिया जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से देह व्यापार के धंधे में शामिल था। जांच से पता चला कि वीरेंद्र सिंह हरियाणा के पानीपत में छिपा हुआ है। वहां छापे मारे गए, लेकिन कोई पता नहीं चल सका क्योंकि वह बार-बार अपना किराए का मकान बदल रहा था।
बीते फरवरी में एएसआइ रमेश को एंटी गैंग्स स्क्वाड, क्राइम ब्रांच में तैनात किया गया। इसके बाद उन्होंने फिर मामले को चुनौती के रूप में लिया और एसीपी नरेश कुमार, इंस्पेक्टर पवन कुमार व विकास पन्नू के नेतृत्व में फिर से इस पर काम करना शुरू कर दिया।
उनके पास आरोपित द्वारा 2007 में जमा किए गए किरायेदार सत्यापन फार्म की एक प्रति थी जिसमें वीरेंद्र की पुरानी तस्वीर थी। उन्होंने फिर कालकाजी और गोविंदपुरी इलाके से जानकारी जुटानी शुरू की तो पता चला कि आरोपत दिल्ली के रोहिणी के विजय विहार इलाके में छिपा हुआ है।
एएसआइ रमेश ने सख्ती से काम करने के बाद आरोपित के सभी पिछले पतों का सत्यापन किया। उसके द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे मोबाइल नंबर के बारे में विशेष जानकारी प्राप्त की। तमाम तकनीकी जांच के बाद वीरेंद्र का पता लगा लिया गया उसे एसआइ अजय कुमार,राजा राम, राहुल कुमार, अजीत, सिपाही मनीष और अशोक कुमार की टीम ने विजय विहार, रोहिणी से पकड़ लिया।
1991 में काम की तलाश में आया था दिल्ली
पूछताछ में पता चला कि वह 1991 में काम की तलाश में दिल्ली आया था। दिल्ली में वह चितरंजन पार्क इलाके में रहने लगे और फिर टैक्सी ड्राइवर के रूप में काम किया। इसी दौरान वह अलग-अलग लोगों के संपर्क में आया और उसे देह व्यापार के धंधे के बारे में पता चला। 2001 में वह आसानी से पैसा कमाने के लिए देह व्यापार के धंधे में आ गया।
शव को संदूक में छिपा भाग गया था कोलकाता
वह पश्चिम बंगाल से युवा लड़कियों को खरीदता था और फिर उनका इस्तेमाल देह व्यापार में करता था। पीड़िता को उसने 10,000 में खरीदा था। जब उसने अपनी बीमारी के कारण काम पर जाने से इन्कार कर दिया त उसने पीड़िता की हत्या कर शव को संदूक में छिपा कोलकाता भाग गया था।
इसके बाद वह सिलीगुड़ी में एक लड़की के घर पर रुका, जो दिल्ली में उसके लिए काम करती थी। फिर वह बंगाल में अपने ठिकाने बदलता रहा। 2009 में वह अंबाला आया और अपने दोस्त लभू के साथ देह व्यापार के धंधे में शामिल हो गया। इसके बाद 2013 में वह पानीपत आ गया और यहीं कारोबार करने लगा।
वह 2019 में दिल्ली वापस आ गया और विजय विहार, रोहिणी में रहने लगा। वर्तमान में वह बिहार, बंगाल और भारत के अन्य हिस्सों से आई युवा लड़कियों को दिल्ली में नौकरी पर रखवाने के लिए कमीशन एजेंट के रूप में काम कर रहा था।