भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने कहा है कि पिछला चुनाव भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम और काम पर हुआ था। इस बार के चुनाव में पीएम के पांच वर्षों की उपलब्धियां जुड़ गईं। बिहार के लोगों ने पीएम के नाम, काम और जय श्रीराम पर मतदान किया। विकास के भगीरथ, गरीबों के मसीहा के रूप में एक जनसेवक की प्रतिमूर्ति और अध्यात्मिक जागरण के प्रणेता के रूप में पीएम की जो छवि बनी, उसी पर पूरा चुनाव निर्भर रहा। इसका प्रभाव बिहार सहित पूरे देश में हुआ।
गृह राज्यमंत्री ने कहा कि इस बार के चुनाव में पीएम के कार्यों की उपलब्धि और विकासात्मक कार्यों के साथ ही सांस्कृतिक और राष्ट्रीय जागरण का मुद्दा भी छाया रहा। कोरोना जैसी महामारी में पूरी दुनिया आर्थिक मंदी की चपेट में आई। भारत भी थोड़ा प्रभावित हुआ। लेकिन पीएम की योजनाओं और संकल्प ने इस संकट पर जल्द ही काबू पा लिया। यही कारण है कि उत्पादन, आधारभूत संरचना, स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क-संचार के क्षेत्र के साथ ही गरीब कल्याण की योजनाओं से पीएम ने इस देश को आत्मिनर्भर बनाया। रोजगार के अवसर सृजित हुए। भारत दुनिया की पांचवीं अर्थव्यवस्था वाला देश बना। यह सर्वविदित है कि अर्थव्यवस्था जितनी मजबूत होती है, विकास व गरीब कल्याण की योजनाओं का उतना ही बेहतर तरीके से क्रियान्वयन होता है। पीएम का संकल्प है कि इस देश को तीसरी अर्थव्यवस्था वाला देश बनाएंगे। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पांचवीं से तीसरी अर्थव्यवस्था होने पर देश और कितना आत्मनिर्भर होगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पीएम बिहार को हमेशा महत्व देते रहे हैं। चुनाव हो या न हो, वे बिहार आते रहे हैं। वे बिहार के विकास पर अधिक ध्यान देते हैं। उनको बिहार से विशेष लगाव भी है। उनके इसी प्रेम के कारण हम लोगों के लिए चुनाव आनंदमयी रहा।
चुनाव पूरी तरह से विकास और विरासत पर निर्भर रहा
नित्यानंद राय ने कहा कि यह चुनाव पूरी तरह से विकास और विरासत पर निर्भर रहा। सबका साथ-सबका विकास ने लोगों में बड़ा विश्वास पैदा किया। विपक्ष आरक्षण और संविधान को लेकर भ्रम फैलाने की कोशिश करता रहा। जबकि लोग जानते हैं कि पीएम के नेतृत्व में आरक्षण को और सुदृढ़ किया गया। लोग यह समझ रहे थे कि विपक्षी दलों के पास कोई मुद्दा नहीं है। किसी न किसी रूप में साठ वर्षोँ तक महागठबंधन की पार्टियां सत्ता में रही हैं, लेकिन इस देश से गरीबी नहीं मिटा सकीं। जबकि पीएम ने देश के 25 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर उठाया। गरीब उन्हें अपने मसीहा के रूप में देखते हैं। विकास के भगीरथ, अध्यात्म पुरुष, एक सच्चे सेवक के रूप में पीएम की छवि उभरी। इसका लाभ बिहार समेत पूरे देश में पड़ा। राम मंदिर का बनना भी पीएम के कारण संभव हो पाया।
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