बिहार पुलिस ने कथित नीट-यूजी ‘‘पेपर लीक” मामले में राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) से संदर्भ प्रश्न पत्र प्राप्त करने का दावा किया है। इस मामले की जांच कर रही बिहार आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) के उच्च पदस्थ सूत्रों ने कहा कि पिछले महीने पटना में तलाशी के दौरान एक सुरक्षित घर से कथित तौर पर लीक हुए प्रश्न पत्रों के ‘‘जले हुए टुकड़े” बरामद किए गए थे, जिन्हें फोरेंसिक जांच के लिए भेजे जाने से पहले संदर्भ प्रश्न पत्रों के साथ मिलान किया जाएगा।” उन्होंने कहा, ‘‘पिछले महीने जांच शुरू होने के बाद से हम संदर्भ प्रश्न पत्रों के लिए एनटीए से अनुरोध कर रहे थे। आख़िरकार, उन्होंने ज़रूरी कार्रवाई की है।”
अपराध से प्राप्त कमाई की पहचान करेगी ईडी
सूत्रों के अनुसार, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत जांच लिए ईओयू की प्राथमिकी के आधार पर एक अलग शिकायत दर्ज करने की तैयारी कर रहा है। सूत्रों ने कहा कि जांच के दौरान ईडी अपराध से प्राप्त कमाई की पहचान करेगी और आरोपियों/संदिग्धों की संपत्तियों को कुर्क करने की कार्यवाही शुरू करेगी। सूत्रों ने कहा कि ईओयू के शीर्ष अधिकारी केंद्र के शिक्षा विभाग और अन्य संबंधित शाखाओं के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ जांच के संबंधित कुछ पहलुओं पर चर्चा करने के लिए आज दिल्ली जा सकते हैं। बिहार के पूर्व पुलिस महानिदेशक अभयानंद ने कहा, ‘‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि नीट-यूजी 2024 परीक्षा में गंभीर अपराध हुए हैं। प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि पेपर लीक हुआ था… अब तक जुटाए गए सबूत भी पेपर लीक होने का संकेत दे रहे हैं। मामले की जांच पीएमएलए के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत भी की जानी चाहिए क्योंकि इस मामले में काला धन शामिल है।”
निजी पेशेवर कॉलेजों की भूमिका की भी जांच शुरू
सुत्रों के अनुसार, ईओयू ने राज्य के कुछ और निजी पेशेवर कॉलेजों की भूमिका की भी जांच शुरू कर दी है, जिन्होंने कथित तौर पर नीट परीक्षा में वास्तविक उम्मीदवारों की जगह प्रश्न पत्र हल करने वालों को भेजे थे। संदेह है कि निजी कॉलेजों/संस्थानों के प्रश्न पत्र हल करने वालों को पांच मई को परीक्षा के दौरान संबंधित परीक्षा केंद्रों के अधिकारियों की मिलीभगत से वास्तविक उम्मीदवारों की जगह परीक्षा में बैठने की अनुमति दी गई थी। सूत्रों का कहना है कि उम्मीदवारों, अधिकारियों और बिचौलियों के बीच मिलीभगत से इंकार नहीं किया जा सकता है। अयोग्य उम्मीदवारों ने डमी उम्मीदवारों के बगल में रणनीतिक रूप से बैठने के लिए बिचौलियों के माध्यम से अधिकारियों को रिश्वत दी। इस कड़ी की जांच की जा रही है।