भारतीय नौसेना के लिए गोवा में त्रिपुट श्रेणी के पहले जंगी जहाज यार्ड 1258 को लाॅन्च किया गया। गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल) में बनाया गया यह जहाज दो उन्नत फ्रिगेट में से पहला है। बता दें कि इसे बनाने का काम 29 जनवरी, 2021 को शुरू हुआ था। लॉन्च होने के बाद इसके कई तरह के ट्रायल्स चलेंगे और इसे अक्टूबर, 2026 में भारतीय नौसेना के जंगी बेड़े में शामिल किया जाएगा। इसके बाद गोवा शिपयार्ड इसी क्लास का एक और जंगी जहाज बना रहा है। यह जहाज 2027 में नौसेना में शामिल होगा।
त्रिपुट श्रेणी के जहाजों की खासियत
रक्षा मंत्रालय और गोवा शिपयार्ड लिमिटेड के बीच 25 जनवरी, 2019 को दो त्रिपुट श्रेणी के एडवांस फ्रिगेट बनाने के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे। इसे दुश्मन के जहाजों, पनडुब्बियों और हवाई जहाजों के खिलाफ युद्ध संचालन के लिए डिजाइन किया गया है। त्रिपुट श्रेणी के जहाज 124.8 मीटर लंबे और 15.2 मीटर चौड़े हैं, जिनका ड्राफ्ट 4.5 मीटर है। अगर इन्हें 26 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ़्तार से चलाया जाए तो ये एक बार में 4850 किमी. की रेंज कवर करते हैं। अगर 56 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलाया जाए तो ये 2600 किमी. की रेंज तक जाएगा। यह जंगी जहाज लगभग 3600 टन वजन के साथ अधिकतम 59 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चल सकते हैं।
तलवार क्लास के जहाज स्टील्थ फीचर्स, उन्नत हथियार और सेंसर और प्लेटफॉर्म प्रबंधन प्रणाली से लैस हैं। यह जहाज 18 अधिकारियों समेत 180 सैनिकों को लेकर 30 दिन तक समंदर में रह सकते हैं और उसके बाद इसमें रसद और ईंधन डलवाना पड़ता है। ये जंगी जहाज इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम से लैस हैं। इन पर मीडियम रेंज की मिसाइलें, 8 इगला-1ई, 8 वर्टिकल लॉन्च एंटी-शिप मिसाइल क्लब, 8 वर्टिकल लॉन्च एंटी-शिप और लैंड अटैक ब्रह्मोस मिसाइल भी तैनात हैं। इसमें एक 100 मिमी. की नेवल गन और एक 76 मिमी. की ओटो मेलारा नेवल गन लगी है। इनके अलावा दो 533 मिलिमीटर की टॉरपीडो ट्यूब्स हैं। एक रॉकेट लॉन्चर भी तैनात की गई है। इस जंगी जहाज पर एक कामोव-28 या एक कामोव-31 या ध्रुव हेलीकॉप्टर लैस हो सकता है।
नौसेना के वाइस एडमिरल कृष्णा स्वामीनाथन ने कहा कि यह भारतीय नौसेना के लिए बहुत महत्वपूर्ण दिन है, क्योंकि हम यार्ड 1258 को लॉन्च कर रहे हैं, जो त्रिपुट श्रेणी के जहाजों में से पहला है। इन्हें गोवा शिपयार्ड लिमिटेड में बनाया गया है। यह भारत में निर्मित पहला जहाज है। इससे आने वाले वर्षों में हिंद महासागर क्षेत्र में शांति, स्थिरता और सुरक्षा बनाए रखने के लिए भारतीय नौसेना की क्षमता में बहुत अधिक मजबूती आएगी।