“पछुआ हवा” ने बढ़ाई कनकनी, अभी और बढ़ेगी ठंड
“पछुआ हवा” एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसमें शीतल हवा एक क्षेत्र में समाहित होती है और उससे स्थानीय तापमान गिर जाता है। यह अक्सर सुनसान और शांत स्थानों में देखा जाता है जहां रात के समय आसमान में शीतलता बढ़ती है और हवा ठंडी हो जाती है।दिसंबर का पहला पखवाड़ा बीत चुका है, रात में ओस तो सुबह में हल्का कोहरा पड़ रहा है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि जब तक दिन का पारा 20 डिग्री से नीचे नहीं आता है और घना कोहरा नहीं पड़ेगा, तब तक सर्दी अपने रंग में नहीं आने वाली है। भारतीय मौसम विभाग के अनुमानों की माने तो अभी हल्की सर्दी का दौर फिलहाल अगले पांच दिन तक चलेगा। इस दौरान दिन-रात के तापमान में थोड़ी-थोड़ी गिरावट आने का अनुमान है।
दिन का पारा गिरा तो रात का चढ़ गया बीते 24 घंटे के मौसम की बात करें तो इस दौरान जहां दिन का तापमान 0.5 डिग्री सेल्सियस गिर गया तो वहीं रात का पारा 0.4 डिग्री सेल्सियस चढ़ गया। गुरुवार को अधिकतम तापमान 22.9 डिग्री सेल्सियस व न्यूनतम तापमान 13.0 डिग्री सेल्सियस रहा, जो कि सामान्य तापमान से क्रमश दो-दो डिग्री सेल्सियस नीचे रहा। गुरुवार की सुबह से लेकर शाम तक आर्द्रता 77 प्रतिशत रही। जबकि इस दौरान दो किमी प्रति घंटे की औसत रफ्तार से पछुआ हवाएं बही।
बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के मौसम वैज्ञानिक डॉ. सुनील कुमार कहते हैं कि गुरुवार से 19 दिसंबर के बीच जिले में अधिकतम एवं न्यूनतम तापमान में कोई खास कमी नहीं आएगी। लेकिन सर्द पछुआ हवाओं के कारण लोगों को सिहरन का एहसास होगा।
अलाव जलाने के लिए मुख्यालय और प्रशासनिक स्तर से निर्देश आता है। आमतौर पर जब शीतलहर चलती है तो अलाव हर साल जलाया जाता है। अभी मुख्यालय से कोई दिशा निर्देश प्राप्त नहीं है।
-विनय प्रसाद यादव, सिटी मैनेजर।
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